चाँदनी रात में एक पुरानी हवेली और उस गांव के बीच गहराते रहस्यों की कहानी है जहाँ कई युवा अचानक गायब हो जाते हैं। हवेली की टूटी-फूटी दीवारें और दरवाज़े एक अजीब तरह की खौफनाक गूंज फैलाते हैं, जो किसी को भी इस डरावनी जगह के करीब जाने से रोक देते हैं।
कहानी में अजय नामक एक युवक की अचानक निश्चरता से गांव में दहशत फैल जाती है। उसकी तलाश में खुलासा होता है कि हवेली के तहखाने में सालों पुरानी कब्रें मौजूद हैं, जिनसे जुड़ा हुआ है एक काला जादू और राक्षसी शक्तियों का पंथ।
हवेली की मिट्टी में मिले सूखे पत्ते और फूल बतलाते हैं कि यहां किसी प्रकार के औपचारिक संस्कार हुए हैं, जिससे गांव वाले इस रहस्य से डरने लगते हैं। ये अफवाहें फैलती हैं कि गायब हुए युवक हवेली के अंदर छिपे एक अलौकिक साये की गिरफ्त में हैं।
हवेली के अंदर की आवाज़ें और दरवाज़े का चरमराना इस खौफ को और भयावह बना देता है। लोग जो भी वहां जाकर जांच करना चाहते हैं, वे बिना कोई ठोस साक्ष्य लिए वापस लौटते हैं। आखिरकार, एक अधूरा संकेत सुनाई देता है – “यहाँ से बाहर निकलना आसान नहीं…”।
इस तरह, गांव में दफन इस रहस्य ने सभी के मन में डर और जिज्ञासा दोनों को जगा दिया है। यह कहानी यह सवाल उठाती है कि क्या सच में ऐसा कोई काला जादू और छुपा हुआ साया है जो गांव के युवाओं को निगल रहा है, या यह सब सिर्फ एक पुरानी डरावनी कहानी है।
सारांश
यह कहानी एक ऐसे गांव की है जहाँ एक पुरानी हवेली में दफन अधिकार और काले जादू से जुड़े रहस्य युवाओं के गायब होने की गुत्थी के साथ जुड़े हैं। गांव में फैली अफवाहों और जांच में मिले संकेतों ने इस खौफनाक सत्य को मात्र अंधकार में गुम कर दिया है। यह कहानी भय, रहस्य और अनदेखी ताकतों की एक डरावनी मिस्ट्री है, जो गांव वालों के दिलों में कभी न खत्म होने वाला साया छोड़ गई है।
