
दक्षिणी भारत की एक प्राचीन हवेली में छिपा एक रहस्य सदियों बाद फिर से जीवित हो उठा, जहां काला जादू और रहस्यमय गायब होने वाले लोगों की घटना ने गांव को दहशत में डाल दिया। इस कहानी की शुरुआत उस काली किताब से होती है, जिसे पढ़ने वाले कभी वापस नहीं लौट पाए। हवेली की पुरानी दीवारों में दबी हुई दास्तां, युवराज की मौत, और उस रात की चीखें जो हवेली से गूंज रही थीं, सभी इस रहस्य को और गहरा बनाते हैं।
हवेली के आसपास अजीब घटनाएँ और लोगों का रहस्यमय गायब होना गांववालों की डर को और बढ़ाता है। रवींद्र, जो वहां के अधिकारियों में से एक था, उस रात वहां गया जब उसे पता चला कि हवेली से अचानक एक चीख निकल रही है। वहां पहुंचते ही वह महसूस करता है कि वह अकेला नहीं है और उसे हवेली की शक्तियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें उसकी परछाइयों के पीछे और भी परछाइयाँ हैं।
हवेली के मूल स्वामी की छाया, जिसने काला जादू सीखकर अमरत्व की चाह रखी थी, फिर भी अपनी नियति से बच नहीं सका, हवेली की पुरानी कहानियों का हिस्सा बनती है। नीचले तहखाने से मिली डायरी में दर्ज भयावह घटनाओं और आत्मा की कैद की खबरें इस कहानी में ज्यादा रहस्य जोड़ती हैं। विकासशील मौसमीय घटनाएँ जैसे कि असामान्य बारिश और बिजली गिरना, इन घटनाओं के पीछे छिपी अज्ञात शक्तियों की कहानी को और विश्वसनीय बना देती हैं।
रवींद्र की वापसी या उसका भी काले जादू की गिरफ्त में आने का सवाल अनसुलझा रह जाता है। यह हवेली अब भी अपने राज़ों को छुपाए हुए है, और अचानक होने वाली चीखें, हवेली की पुरानी कहानियों को जीवित करती हैं।
महत्वपूर्ण पहलू
- काली किताब — जो काला जादू और रहस्यमय शक्तियों का स्रोत है।
- गायब होने वाले लोग — जिन्हें हवेली की शक्तियों द्वारा फंसा लिया जाता है।
- रवींद्र का अनुभव — जिसने रहस्यमय चीख सुनकर हवेली के अंधकार में कदम रखा।
- नीचले तहखाने की डायरी — जो भयावह सत्य का खुलासा करती है।
- प्राकृतिक असामान्यताएँ — जो काले जादू की उपस्थिति का संकेत हैं।
सारांश: यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कुछ रहस्य हमेशा रहस्यमय रह ही जाते हैं और कभी-कभी कुछ परछाइयाँ वापस लौटकर नहीं आतीं। उस खौफनाक रात से हवेली की गूंज आज भी गांव में गूंजती है, और वह दरवाजा धीरे-धीरे चरमरा जाता रहता है, सन्नाटा छा जाता है।