
उत्तर भारत के एक छोटे से गाँव में 25 वर्षीय अर्जुन की रहस्यमय गायब होने की घटना ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया है। एक ठंडी शाम, अर्जुन अपने घर से अचानक लापता हो गया और उसकी आखिरी जानकारी गाँव के पश्चिमी छोर पर बसे ‘भूतिया वन’ से मिली, जहाँ से वर्षों से कोई वापिस नहीं लौटा।
जांच में पता चला कि गाँव में एक संदिग्ध पंथ सक्रिय था, जिसके सदस्य काला जादू में संलिप्त थे। गुप्त पत्रों से उस पंथ की काली गतिविधियाँ उजागर हुईं, जिनमें लिखा था, “जो वहाँ गया, लौटकर नहीं आया, और जो लौटे, वे खुद को भूल गए।” गांव के बुजुर्ग भी इस घटना को पहले हुए रहस्यमय गायब होने की घटनाओं से जोड़ते हैं।
गाँव में होने वाली अजीबोगरीब घटनाएँ जैसे दरवाज़ों का खुद-ब-खुद चरमराना, छायाओं का दीवारों पर उभरना और अर्जुन की पुकार सुनाई देना, इन सबने माहौल को और भी भयावह बना दिया है। पुलिस रिपोर्ट तो मैनें आधिकारिक थी, लेकिन गाँव वालों के विश्वास और डर इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस रहस्य में कोई भूत-प्रेत जैसी शक्तियाँ भी सक्रिय हो सकती हैं।
अर्जुन की माँ की दर्दभरी पुकार गांव की सदमे को बयां करती है, जो हर रात अपने बेटे के लौटने का इंतजार करती हैं। इस कहानी के कई पहलू अभी अधूरे हैं और इसका अंत अभी तक रहस्यमय बना हुआ है।
संक्षेप में:
- अर्जुन का रहस्यमय लापता होना उत्तर भारत के एक गाँव में हुआ।
- भूतिया वन को गाँव वाले एक काला जादू और रहस्यमय शक्तियों का केन्द्र मानते हैं।
- संदिग्ध पंथ के सदस्य और काले जादू का सम्बन्ध पाया गया।
- गाँव में धीरे-धीरे असामान्य और भयानक घटनाएँ घटित हो रही हैं।
- घटना आज भी अइंते का विषय बनी हुई है, जिसका कोई निश्चित उत्तर नहीं मिला है।
क्या अर्जुन अपने गाँव लौट पाएगा? या ‘भूतिया वन’ के रहस्यमय जाल में फंसा रहेगा? यह प्रश्न समय के साथ ही स्पष्ट होंगे।