Summary: एक गांव की पुरानी हवेली में दफन रहस्यों और गायब हुई युवती की कहानी, जो काले जादू और अनसुलझे राज़ों से भरी है।
गांव में दफन राज़: अंदर छिपा साया और खोये हुए ज़ख्म
वो शाम की मद्धम रोशनी थी, जब गांव की परछाई अपने पुराने किस्सों को ज़मीन के नीचे दबाने की तैयारी कर रही थी। हवा में एक अजीब-सी ठंडी सनसनाहट थी, मानो किसी अनदेखी ताकत की फुसफुसाहट सुनाई दे रही हो। यह गांव, जो सदियों से अपनी गहराई में अनकहे राज़ों को छुपाए हुए था, अचानक एक भयावह घटना की आहट से थर्रा उठा।
कुछ दिन पहले, गांव के सबसे पुराने मकान के पास एक युवती गायब हो गई थी। उसका नाम था प्रिया, जो अपनी मासूमियत और खुली हंसी के लिए प्रसिद्ध थी। लेकिन तभी से, वह जैसे हवा में विलुप्त हो गई। गांव वाले बताते हैं कि उसकी आखिरी नजर एक उनहकार भरे पेड़ की ओर थी, जहां अंधेरे में कुछ हिलता दिखाई दिया था।
वह पुराना मकान, जिसे लोग ‘खूनी हवेली’ के नाम से जानते थे, सदियों से अपने अंदर बसी हुई अजीबोगरीब घटनाओं के चलते रहस्यमय बना हुआ था। कहते हैं कि वहां दफन है एक पुरानी डायरी, जिसमें काला जादू और पंथ के काले मंत्र दर्ज हैं। कई लोग जो उस हवेली के अंदर गए, वे या तो पागल हो गए या फिर वो जो लौट कर नहीं आया।
जब गांव के कुछ युवा साहस दिखाने की कोशिश में उस हवेली के अंदर गए, तो दरवाजा धीरे-धीरे चरमराया और सन्नाटा गूंज उठा। अंदर का अंधेरा ऐसा था कि हर कदम पर छिपे शंकालु संकेत मन को घोर बेचैनी में डाल देते। हवेली की एक छत की लकड़ी अचानक गिर पड़ी, जैसे कोई रहस्यमय चेतावनी दे रहा हो। वहां से निकलते समय उनके कुछ वस्त्र फटे हुए पाए गए, और उनमें से एक ने अजीब से काले निशान बताए।
एक शाम, वहां से गुजर रहे बूढ़े ज्योतिषी ने कहा, “यह हवेली न तो केवल जगह है, बल्कि एक जादू है, जो किसी का भी रहस्य छुपा सकता है… मगर एक दिन कोई राज़ फूटेगा।” उसकी बातों में कुछ ऐसा था कि वह सच लग रही थी। गांव के लोग मानने लगे कि प्रिया की गायब होने की वजह कुछ पुराना काला जादू है, जो उन लोगों की दुनिया और परे के बीच की सीमाओं को पार कराता है।
माना जाता है कि प्रिया की आत्मा अब हवेली के अंदर फंसी है, जो वहां से निकलने का रास्ता ढूंढ़ रही है। रात को कभी-कभी हवेली से एक मधुर गीत सुनाई देता है, जिसकी लय तुरंत बदल जाती है और रोने की आवाज़ में तब्दील हो जाती है।
हुआ भी कुछ ऐसा ही, जब दो दिन बाद प्रिया के पिता ने देखा कि हवेली के बाहर एक पुराना ताबीज पड़ा था, जिसपर कुछ अनजान, अस्पष्ट चिन्ह बने थे।
जैसे-जैसे रात गहराती, उस ताबीज से निकलने वाली चमक गांव के अंदर फैली हुई थरथराती डर को और गहरा करती। क्या यह ताबीज किसी काले जादू का हिस्सा है? क्या वह प्रिया की आत्मा को फंसा हुआ है? कहानियां कहती हैं कि जो उस ताबीज को फिर से हवेली में रखेगा, वह या तो राज़ खोलने का साहस करेगा या फिर खुद को खो बैठेगा।
गांव के बुजुर्गों ने भी इशारा किया है कि प्रिया की कहानी शायद गांव के एक गहरे अविश्वास और पुरानी मान्यताओं से जुड़ी है – एक ऐसी चोट जो शायद पहले भी समान परिस्थितियों में कई बार उभरी हो।
यहां तक कि कुछ लोगों ने हवेली के आसपास रात बिताने की हिम्मत दिखाई, लेकिन आधी रात होते-होते वे डर के मारे चिल्लाने लगते और गांव छोड़कर भाग जाते। उनकी यादाश्त से कुछ बातें मिट जाती हैं, लेकिन जो बचता है, वह सिर्फ उस हवेली में गूंजते अनकहे स्वर होते हैं।
क्या प्रिया सच में गायब हो गई या वो हवेली की उस रहस्यमय दुनिया की अगली कहानी है, जो अनजाने में उसी में खो जाती है? क्या काला जादू वाकई उस हवेली को जकड़े हुए है, या यह सब केवल डर और मान्यताओं का खेल है? गांव की वह खूनी हवेली आज भी किसी जवाब का इंतजार कर रही है, जो शायद कभी न मिले।
और एक सवाल जो हर दिल में गूंजता है – ‘वो जो लौट कर नहीं आया,’ असल में कहां गया?
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