
Summary: एक छोटे गाँव की रहस्यमयी गायबगी की कहानी, जहाँ पुरानी हवेली और काले जादू के अंधेरे राज़ छिपे हैं।
गांव में दफन राज़: उस काली रात की चुप्पी जिसे कोई तोड़ नहीं पाया
हर गाँव की अपनी एक कहानी होती है, लेकिन कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो उजाले से दूर, छिपे हुए अंधेरों के भीतर दफन होती हैं। यह कहानी है उस छोटे से गाँव की, जहाँ एक काली रात ने सब कुछ बदल दिया। जो लोग उस रात को जानते थे, वे आज भी डर के साए में जीते हैं।
ये गाँव था उत्तर भारत के किसी पहाड़ी क्षेत्र में, जहाँ समय की चाल भी धीमी लगती थी। यहाँ की हवाओं में कुछ अजीब मूक संगीत समाया था, मानो कोई रहस्य छुपा हो। पुराने झरझरे मकानों के बीच, एक पुरानी हवेली थी, जिसे गाँव वाले भूतिया कहते थे। कहते हैं कि उस हवेली की दीवारों के भीतर कोई छुपा राज़ दफन था, जो कभी उजागर नहीं हो पाया।
घटनाक्रम उस एक ठंडी सर्द रात से शुरू हुआ, जब गाँव का एक युवक, करण, अचानक से गायब हो गया। उसने कहा था कि वह हवेली के पास से गुजरते वक्त कुछ अजीब आवाज़ें सुन रहा था। पर जब घर लौटने का समय हुआ, करण का कहीं पता नहीं चला।
गाँव में अफवाहों का दौर शुरू हो गया। कुछ लोग कहते थे कि करण को उन पुरानी मान्यताओं के पंथ ने उठा लिया है, जो वहाँ काला जादू करने का आरोप लगाता था। हवेली के पास कई बार कुंड और जादुई निशान पाए गए थे, जिन्हें देखकर कई लोग कांप उठते थे। लेकिन सब जानते थे कि सच जानना मौत से कम खतरनाक था।
जैसे-जैसे दिन बीतते गए, करण की कोई खबर नहीं आई। गाँव वाले उसे खोजते रहे, लेकिन पेड़ों के बीच, पहाड़ियों में, कहीं भी उसका कोई अता-पता नहीं मिला। उस हवेली की खिड़की से कभी-कभी आहटें सुनाई देती थीं, जैसे कोई दर-दर भटका हो। एक रात तो ऐसा हुआ जब अचानक पूरे गाँव में बिजली चली गई और हवेली की छाया गाँव के बीच में फैल गई। दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा।
पुलिस जांच चली, पर कोई ठोस सुराग नहीं मिला। हवेली के अन्दर का माहौल डरावना था, जैसे हर कोना कुछ छुपा रहा हो। वहाँ पाए गए कुछ काले निशान, पश्चाताप के संकेत, और एक पुरानी किताब जो किसी काले जादू के मंत्रों से भरी थी। ये सब मिलकर कहानी को और भी रहस्यमयी बना रहे थे।
एक गुप्त दस्तावेज मिला जिसमें हवेली के बारे में पुराने आरोप लिखे थे –
- अनैतिक काले जादू
- गायब होती लड़कियाँ
- रात्रि में गूंजती चीखें
करण की गुमशुदगी ने गाँव की नींद उड़ा दी थी। कभी-कभी लोग दावा करते थे कि उन्होंने करण की परछाई को हवेली की खिड़की में देखा है, या वह साँसें सुनी हैं, जो केवल मौत के बाद की हो सकती हैं।
लेकिन क्या ये सब सच है? क्या करण ने वास्तव में उस रात गाँव की उन पुरानी प्रथाओं का शिकार बना लिया? या वह कहीं दूर, किसी गुमनाम जगह पर खुद को प्रतिबंधित कर रहा है? हजारों सवाल अनुत्तरित रह गए और हवेली की खिड़कियाँ फिर भी उसी अधीरता से टकटकी लगाए थीं।
इस कहानी का सच्चा अंत कौन जानता है? क्या वह युवक कभी वापस आएगा, या वह रहस्यमयी काली छाया हमेशा के लिए उस गाँव की दास्ताँ बन जाएगी?
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