
Summary: एक छोटे से गाँव में एक युवक हरिप्रसाद की रहस्यमयी गुमशुदगी और पुरानी हवेली में छिपे काले जादू के रहस्यों को उजागर करती यह कहानी डरावनी और थर्रा देने वाली है।
गांव में दफन राज़: उस रात जो लौट कर नहीं आया
भोर की पहली किरणें धीरे-धीरे उस छोटे से गाँव की मिट्टी में समा रही थीं, लेकिन गाँव के बुजुर्ग अब भी उन खुनी रात की बातें चुपचाप दोहरा रहे थे, जिसका साया आज भी उनके दिलों को थर्रा देता है। यह कहानी है उस युवक की, जिसका नाम हरिप्रसाद था, जो एक हँसमुख और मेहनती किसान था। लेकिन एक दिन, अचानक वह गायब हो गया। गायब नहीं, बल्कि उस रात जो कभी लौट कर नहीं आया।
गांव के हरे-भरे खेतों के बीच छुपी हुई पुरानी हवेली थी, जो वर्षों से वीरान पड़ी थी। सभी कहते थे कि उस जगह पर कभी काला जादू होता था, और कई अजीब-अजहब घटनाएं होती थीं। हरिप्रसाद उस हवेली के सबसे नजदीक रहता था। एक अंधेरी रात, जब पूरा गाँव गहरी नींद में था, उसी हवेली की तरफ से किसी ने चीखें सुनीं, जिसकी गूंज जंगलों को चीरती हुई पड़ी।
अगले दिन की शुरुआत भयावह रही। हरिप्रसाद का कोई पता नहीं चला। उसकी गुमशुदगी ने गाँव में हड़कंप मचा दिया। कुछ गाँव वाले हवेली की ओर गए, लेकिन वहां पहुंचकर उन्होंने एक अजीबोगरीब नज़ारा देखा। हवेली के भीतर दीवारों पर जो अजीब से निशान बने थे, वे कुछ पेंटिंग्स की तरह दिख रहे थे, लेकिन उनके बीच कुछ ऐसे प्रतीक थे जिन्हें गांव के बुजुर्ग भी समझ नहीं पाए। यह काला जादू का असर ही था या कुछ और, यह किसी को समझ नहीं आया।
दिन बीतते गए और हरिप्रसाद के लिए खोज जारी रही, लेकिन हर कदम पर नए सवाल आते। कुछ लोगों ने हवेली के कमरे में उसके खून के धब्बे देखे, सुनिश्चित करते हुए कि यहाँ कोई हत्या हुई है। पर शव कहाँ था? गायब। ऐसा लगा जैसे कोई उसे चुराकर ले गया हो। लगातार अशांति ने पूरे गाँव को घेर लिया था, और लोगों के मन में डर के अलावा दहशत भी घर करने लगी थी।
अचानक, कुछ गाँव के बच्चों ने बताया कि उन्होंने रात के समय हवेली के पास एक छायादार आकृति को देखा, जो धीरे-धीरे ज्यों-ज्यों दीवारों से घुल रही थी। वह एक साया था, परंतु मानव रूप में, जो उन्हें देख कर धीरे से मुस्कुराया और गायब हो गया। क्या यह हरिप्रसाद का आत्मा था जो कुछ कहना चाहता था? या फिर कोई गुप्त शक्तियां? ये सवाल हवा में तैर रहे थे, जिनका जवाब कोई नहीं दे पाया।
मनोवैज्ञानिक तनाव और रहस्यमय घटनाएं बढ़ती जा रही थीं। हरिप्रसाद की वस्तुएं हवेली के एक कमरे में मिलीं जिसे कस्बे के अनजान लोग कभी नहीं खोल पाते थे। वहां एक पुरानी किताब भी मिली, जिसमें अजीब से आकर्षक चित्र और विशेष चमत्कारी शक्तियों को दर्शाने वाले संस्कृत मंत्र लिखे थे। पुस्तक के पन्ने धीरे-धीरे पिले पड़ रहे थे, जैसे उनका समय खत्म होने वाला हो।
गांव की कहानियों में धीरे-धीरे यह बात फैल गई कि हरिप्रसाद ने शायद काला जादू की ताकतों से जुड़ कर अपनी जान गंवा दी, या किसी रहस्यमय पंथ का शिकार हुआ। लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं था। उस हवेली की दीवारों के बीच दफन एक रहस्य था, जो उस रात की खौफनाक घटनाओं को वापस आने से रोक रहा था।
जैसे-जैसे रातें गहरी होतीं, हवेली से आ रही रहस्यमयी आवाजें, धीरे-धीरे उस साए को गले लगातीं, जिसकी कोई शक्ल नहीं थी, लेकिन वह हर रात लौट कर एक नई दास्तान लेकर आता था।
- क्या हरिप्रसाद सच में वापस आ सकता है?
- क्या वह साया सचमुच में उस हवेली के भीतर कहीं फंसा हुआ है?
- या फिर वह रहस्य वहीँ दफन रह जाएगा?
दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा। भारत के इस छोटे से गाँव में गहराता जा रहा काला जादू और रहस्यमय माने आज भी लोगों के दिलों में डर का साया डाले हुए है। हाल ही की जांचों और खोज के बावजूद, यह कहानी कई अनसुलझे सवाल छोड़ गई, जिनका जवाब शायद ही कभी मिल पाएगा।
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