
Summary: कालपुरी गांव में अजीत की रहस्यमयी गुमशुदगी और काले जादू से जुड़े अनसुलझे रहस्यों की कहानी उजागर होती है। 2023 की अक्टूबर की एक ठंडी शाम को अजीत, जो कि एक होनहार लेकिन जिद्दी और अंधविश्वासी युवक था, एक पुराने खंडहर मंदिर के पास गया और घर वापस नहीं लौटा। गांव में यह माना जाता है कि वहाँ काला जादू और प्रेतात्माएँ सक्रिय हैं, जिससे उसकी आत्मा फँसी हुई है। पुलिस जांच में कोई साक्ष्य नहीं मिला, परन्तु अजीत की आवाज़ कभी-कभी सुनाई देती है और मंदिर की घंटी अपने आप बजती है। इस रहस्य का अंत अभी तक अज्ञात है।
गांव में दफन राज़: वह जो लौट कर नहीं आया…
सर्द हवा ने पतझड़ की सूनी गलियों में कड़क तरह से घुसा, जैसे हर कोने में छिपा कोई गुनहगार सांस ले रहा हो। उस रात, जिस गांव की मिट्टी लाखों कहानियों का साक्षी थी, एक ऐसा राज़ दफन हुआ जिसे वर्षों तक कोई उजागर नहीं कर पाया। गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि उस दिन से वहां की हवाओं में साया कुछ भारी-भारी सी मंडराने लगा। और वह जो लौट कर नहीं आया… उसकी कहानी के पीछे छिपा स्याह सच, अब धीरे-धीरे उभर रहा है।
अक्टूबर 2023 की एक ठंडी शाम को, छोटे से पर्वतीय गांव कालपुरी में, एक युवक सपना लेकर निकला था — उसने सोचा था कि शहर जाकर कुछ बड़ा करेगा। अजीत, गांव का एक होनहार लड़का था, जिसे लोग उसके जिद्दीपन और अंधविश्वास के लिए जानते थे। पर जिसने किसी को नहीं बताया, वह था उसका गहरा लगाव पुरानी धरोहरों और रहस्यमयी मान्यताओं से।
गांव के सबसे पुराने मंदिर के पास एक खंडहर में नौटंकी-सी खामोशी थी, और अजीत को वहां कुछ छुपा हुआ महसूस हुआ। उसने कई बार एक अजीब एहसास को नोटिस किया — जैसे कोई उसे देख रहा हो, या जो देख रहा हो, वह यहां का ना हो। उस सुबह जब वह घर से निकला, उसकी मां ने मठ की पुरानी कल्पित कहानी सुनाई — जिसमें लिखा था कि जिस चंद्रमा के पूर्ण होने पर मंदिर की घंटी बजे, उस पर काले जादू और मनुष्यों की आत्माओं का पोथी छिपी हो।
अजीत ने हंसी में टाल दिया, मगर दिल में डर जरूर था। उसकी आखिरी झलक जब गांव के पुराने किले की ओर गई, जो अब खंडहर था, तो हवा कुछ अलग सी महसूस हो रही थी। वहां, एक अजीब सी गूंज, और चरमराता दरवाज़ा, जिसने जैसे किसी को अंदर जाने का न्योता दिया हो।
आखिरकार वह दरवाजा खुला, पर अजीत वापस नहीं लौटा। निकट के जंगल में बूढ़े लोग कहते हैं कि कभी-कभी अजीत की आवाज़ आती है, कुछ अस्पष्ट शब्द जो किसी मंत्र की तरह लगते हैं। कुछ संदिग्ध देखते हुए ये बातें उभरती हैं कि उस किले के अंदर बलात्कार की कोशिश, हत्या और कुछ काले अनुष्ठानों का अपराध था। किंतु पुलिस जांच में कोई ठोस साक्ष्य कभी नहीं मिला।
तथाकथित काला जादू, जो गांव वालों के द्वारा पुरानी आध्यात्मिक मान्यताओं से जोड़ा जाता है, शायद वह कारण हो कि अजीत की आत्मा वहां फंसी हुई है। कई बार चांदनी रातों में मंदिर की घंटी खुद-ब-खुद बजती है, और अजीत की झीनी सी आवाज़ गांव के हवाओं में गूंजती है।
प्रश्न जो मन में उठते हैं:
- क्या सच में अजीत ने कुछ ऐसा देख लिया था, जो सामान्य मनुष्यों के समझ से परे था?
- क्या काला जादू और तनाव ने उसके जीवन को निगल लिया?
- क्या वह फिर कभी वापस आएगा, या उसकी तलाश सदा अधूरी रहेगी?
दरवाज़ा धीरे-धीरे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा। इसका जवाब शायद कभी किसी को न मिले।
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