सारांश: बागपुर गांव की पुरानी हवेली में एक युवक राकेश की रहस्यमय गुमशुदगी का किस्सा सुनाता है, जिसमें काला जादू और अंधविश्वास की परतें खुलती हैं। यह कहानी गांव के इतिहास को झकझोरने वाली एक सच्ची घटना है, जहाँ रहस्यों और डर के बीच जवाबों की कमी ने गांव को गहरे अंधेरे में डाल दिया है।
रहस्यमय घटाना — बागपुर का वीराना
2023 की ठंडी सर्दियों में धुंध और बारिश के साथ, बागपुर गांव की शांति एक असामान्य घटना से झंकृत हुई। ये गांव जो कभी हरियाली और शांति के लिए जाना जाता था, अब भयों और अनजान खतरों से घिर गया था।
राकेश और पुरानी हवेली
राकेश, जो गांव का रहने वाला था, एक दिन प्राचीन जंगल में गया जहाँ उसने एक सदियों पुरानी हवेली देखी। यह जगह गांव वालों के लिए डरावनी और रहस्यमय थी, जहाँ अजीब-अजीब आवाजें आती थीं।
अंतिम कॉल और रहस्यमय नोट
राकेश की आखिरी कॉल उसी हवेली के पास प्राप्त हुई लेकिन बाद में उसका फोन बंद हो गया। पुलिस जांच के दौरान कोई ठोस सुराग नहीं मिला, केवल एक रहस्यमय नोट मिला जिसकी लिपि स्थानीय विद्वानों के लिए भी समझ से बाहर थी।
गांव में बढ़ते रहस्य और डर
दिन बीतने के साथ गांव में अजीब घटनाएं होने लगीं — अंधेरे में कदमों की आहट, हवेली से आवाजें, और अचानक बिजली का चमकना। यह सब गांव वालों के दिलों में डर और शक पैदा करता रहा कि क्या राकेश काला जादू में फंसा है या किसी भटकती आत्मा के जाल में है।
बुझते सवाल और अधूरा सच
मुख्य सवाल जो इस कहानी का हिस्सा बने—
- क्या राकेश की घटना केवल एक हादसा थी या कोई गहरा राज़?
- क्या हवेली के नीचे छिपा हुआ गुप्त कक्ष सचमुच मौजूद है?
- अगर हाँ, तो उस कक्ष ने राकेश को कैसे निगल लिया?
यह रहस्यमय दास्तान अपने अंत को पहुंची है, पर बागपुर गांव को ऐसे अंधेरे में डाल गई है जहाँ से लौट पाना लगभग नामुमकिन है।
दरवाज़ा धीरे-धीरे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा।
