
Summary: एक छोटे से गांव में गायब हुए युवक अरुण की अनसुलझी कहानी, जिसमें काला जादू, पुरानी हवेली और रहस्यमयी ताकतें शामिल हैं।
गांव में दफन राज़: वो जो लौट कर नहीं आया
अंधेरा धीरे-धीरे उस छोटे से गांव पर छा रहा था, जहां हर कोने में एक अनकाहा डर, एक छुपा हुआ राज़ जिंदा था। यह कहानी है एक ऐसे युवक की, जो उस शाम से कभी वापस नहीं लौटा। उस शाम, जब आसमान में तारे भी डर के साए से गायब हो गए थे।
शहर से दूर, पहाड़ों की झील के किनारे बसा वह गांव सदियों से अपनी परंपराओं और मान्यताओं में लिपटा था। हर किस्सा यहां काला जादू, पंथ, और भूत-प्रेत की सच्चाइयों से जुड़ा लगता था। लेकिन उस युवक की कहानी में कुछ अलग था।
नाम था अरुण। एक सामान्य किसान का बेटा, जिसकी हँसी और जोश पूरे गांव को जानता था। पर उस दिन, जब उसने जंगल की ओर कदम बढ़ाया, वापस लौटते वक्त उसकी परछाई भी साथ नहीं आई। पास ही एक पुरानी, जर्जर और सुनसान हवेली थी, जिसके बारे में गांव के बुजुर्ग अक्सर चेतावनी देते थे। कहते थे कि वहां दफन है कुछ ऐसे राज़, जो आज तक उजागर नहीं हुए।
अरुण के जाने के बाद, गांव में अजीब घटनाएं शुरू हुईं। रात के सन्नाटे में दरवाज़े से लेकर खिड़कियाँ अपने-आप खुलने लगीं, हवा में गुमसुम चेहरों की आवाज़ें गूँजने लगीं। कुछ लोग कहते हैं कि हवेली में इंसान से परे कोई मौजूद है, जो उस युवक की आवाज़ में पुकारता है।
गांव के बुजुर्गों की माने, तो ये कोई आम गायब होना नहीं था। ये काला जादू की सूक्ष्म चाल थी, जो अरुण को अपने जाल में फंसा चुकी थी। उन्होंने पुरानी ग्रंथों की मदद से उसकी खोज शुरू की, लेकिन हर कदम पर उन्हें धुंध व भयावह छवियां मिलती रहीं।
जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, पता चलता है कि अरुण की खोज एक मुसीबत की तरफ़ बढ़ रही थी — एक ऐसी मुसीबत, जहां मौत, धोखा और रहस्य की गठरी खुलने के बजाय और सारीπτυ होती चली गयी। जांच में एक पुरानी, धूल झांकती किताब मिली, जिसमें काला जादू के संस्कार और प्राचीन संस्कृत मंत्र लिखे थे। नोट्स में एक नाम बार-बार आया: “अनघ“।
फिर एक रात, गांव के कुछ लोग हवेली के अंदर दाखिल हुए। उन्होंने जो देखा, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल था। हवेली का हॉल खून से सना था, और एक अजीब सी चमक भीतर फैली थी। वहां कमरे के एक कोने में अरुण की चप्पल मिली थी, और उसके पास एक अधूरा पत्र, जिसमें लिखा था, “मैं वापस नहीं आ पाऊंगा लेकिन सच बाहर आ सकता है।”
कहानी में जो सबसे भयानक बात थी वह थी यह कि अगली सुबह, हवेली के बाहर घास के मैदान में घूमती एक सफेद आकृति देखी गई, जिसने धीरे से फुसफुसाया, “मुझे छोड़ो… मुझे रहने दो।”
अभी तक यह पता नहीं चल पाया कि असल में अरुण के साथ क्या हुआ। कहीं वह हवेली के प्रेतों की गिरफ्त में तो नहीं है? या काला जादू की उस बड़ी चाल का शिकार? गांव वाले इस घटना को लेकर विभ्रमित हैं, और कुछ तो कहते हैं कि हवेली में कोई रहस्यमयी शक्ति अभी भी जागृत है, जो आने वाले किसी दिन खुलासा कर सकती है सब कुछ।
दरवाजा धीरे-धीरे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा। क्या आप भी उस रहस्य के करीब हैं?
इस कहानी में रहस्य अभी अधूरा है, और जवाब आपके अपने आस-पास कहीं छिपे हो सकते हैं। क्या आप उस छाया के पीछे छुपे सच को उजागर कर पाएंगे?
ऐसी ही रहस्यमयी कहानियों के लिए जुड़े रहिए DEEP DIVES के साथ।