
एक छोटे से गांव में एक युवाकी अंधेरे में लुप्त होने की कहानी, जो प्राचीन पंथ, काला जादू और रहस्यमय हवेली से जुड़ा है।
गांव के रहस्यमय अंधेरे
सूरज की आखिरी किरने जैसे-जैसे गांव के पेड़ों के बीच से गुजर रही थीं, वहीं एक धुंधली छाया भी उभर रही थी। गांव की संकरी गलियों में कौवे की कर्कश आवाज़ गूँजती थी, मानो कोई छुपा रहा हो। चौराहे पर खड़ी पुरानी हवेली, जो वर्षों से अंधेरे अतीत के कारण खौफ का विषय रही, एक रहस्य लिए खड़ी थी।
अमित की रहस्यमय गायबगी
वाराणसी के समीप स्थित इस गांव में अमित नामक युवक अचानक गायब हो गया। पुलिस की जांच के अनुसार अमित की आखिरी नज़र उसी हवेली के पास देखी गई थी। सवाल उठते रहे कि वह वहां क्यों गया और उसके गायब होने के बाद क्या हुआ।
हवेली के रहस्य और काला जादू
अमित, जो गांव लौटकर आया था और पुरानी कथाओं तथा काले जादू की गहराई से जानने का इच्छुक था, हवेली में कुछ प्राचीन पंथ से जुड़े कागजात खोजता है। दीवारों पर अंकित रहस्यमयी चिह्न उसे उलझन में डालते हैं। गांव में माना जाता था कि तहखाने में एक जादुई किताब दफन है जिसमें मृत संत की आत्मा का वशीकरण छिपा है।
सन्नाटे और डरावनी घटनाएं
जब पुलिस ने तहखाने की जांच की, तो कुछ अजीब सी गंध मिली, लेकिन तहखाना खाली निकला। अचानक दरवाज़ा चरमराते हुए बंद हो गया और गांव में डर का माहौल फैल गया। कई ग्रामीण हवेली के पास से गुजरने से डरने लगे, और रात को वहां सिसकियों और मुस्कान जैसी आवाजें सुनाई देती थीं।
परीक्षा और अनजाने सुराग
थाना-इंस्पेक्टर की जांच में एक गुप्त डायरी मिली जिसमें खतरे की चेतावनी अंकित थी। एक बुजुर्ग ने हवेली के द्वार को दूसरे संसार का रास्ता बताया। गांव में एक अधूरा मंदिर था जहाँ पंथ के सदस्य जमा होते थे, और वहां मिली मिट्टी से भयानक घटनाओं का पता चला।
अंत में क्या हुआ?
सबसे बड़ा सवाल यही बचा कि अमित आखिर वापस क्यों नहीं आया? क्या वह हवेली की गहराई में खो गया, या कोई रहस्यमय शक्ति उसे निगल गई? हवेली का दरवाज़ा चरमरा कर बंद हुआ, और सन्नाटा छा गया।
सारांश: यह कहानी है एक युवक अमित की, जो गांव के पुराने पंथ, काला जादू और रहस्यमय हवेली के बीच एक भयानक राज़ में फंस जाता है और वापसी का रास्ता नहीं पाता। गांव में फैले अंधविश्वास और पुरानी कहानियों के बीच यह रहस्य आज भी बरकरार है।
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