
बारिश की बूंदें जैसे एक खून-सी लालिमा लिए, मिट्टी पर गिर रही थीं। धुंधले आसमान के नीचे, उस छोटे से पहाड़ी गांव की गलियाँ कोई स्याह कहानी बयान करने को तैयार थीं — वो कहानी जिसमें सन्नाटा आवाज़ बनकर उतरता था। आसिफ नाम का जवान लड़का, जो कई दिनों से गायब था, अचानक अपनी पुरानी हवेली के सामने दोपहर की कोहरे में वापस आया। पर वो वही नहीं था जो कभी था; उसकी आखों में एक अजीब सी चमक, और होंठों पर अनकहे खौफ का सुकून था।
आसपास के लोग आश्चर्यचकित न होकर डर गए। उस हवेली की पुरानी दीवारों पर कहीं न कहीं दफन था कोई राज़, जो शायद वर्षों से दफना हुआ था। बच्चों ने बताया कि रात को हवेली के पीछे झाड़ियों के बीच कोई लाल रोशनी चमकती है, और अजीब सी आवाजें आती हैं। वृद्धों की मानें तो ये हवेली पंथ और काला जादू की गुत्थियों से घिरी हुई थी।
आसिफ के लौटने के बाद से ही गांव में अनहोनी घटी। एक-एक कर लोग गायब होने लगे, रहस्यमय नरसंहार और अलौकिक घटनाएं सामने आने लगीं। हवेली में अचानक से काले धुएं की छाँव होने लगी, और आश्चर्यजनक रूप से आसिफ के कमरे में पुराने जादुई ग्रंथ पाए गए। यह ग्रंथ इतना खतरनाक था कि उसके पन्नों को छूते ही भयावह सपनों का सिलसिला शुरू हो जाता।
एक रात, गांव के मुखिया ने आसिफ से सच पूछने की हिम्मत जुटाई। लेकिन दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा। कोई जवाब नहीं आया।
आसिफ की वापसी, खून के निशान, काला जादू और उस रहस्यमयी हवेली ने गांव को एक भयंकर चक्रवात में घेर लिया था। क्या वह सच में लौट कर आया था, या कोई और साया उसके रूप में भ्रम रच रहा था? ये सब कुंडी खुलती किस भेद पर है, यह तो सिर्फ हवेली की पुरानी दीवारें ही जानती थीं — जो हर रात अपनी कहानी में धीरे-धीरे और गहराई भरती थीं।
और हवेली के भीतर, कहीं ऐसा प्रतीत था जैसे एक अंधेरा साया अभी भी छुपा हुआ था, जिसे बाहर आने का इंतज़ार था। असली कहानी अभी बाकी थी।
संक्षेप में
गांव में दफन राज़ एक छोटे से पहाड़ी गांव की पुरानी हवेली में छिपे रहस्यों को उजागर करता है। आसिफ नामक युवक की रहस्यमयी वापसी के साथ काला जादू, अलौकिक घटनाएँ, और भयावह नरसंहार गांव में फैले डर को बढ़ाते हैं। यह कहानी गांव की पुरानी दीवारों और हवेली की छाया में छुपे अंधेरे रहस्यों का पर्दाफाश करती है, जो अब भी बाहर आने का इंतज़ार कर रहे हैं।