
उत्तर भारत के एक छोटे से गांव की सुनसान गलियों में एक रहस्यमयी घटना ने लोगों को दहशत में डाल दिया है। आरव नामक एक युवक की अचानक लापता होने की कहानी, गांव में प्राचीन काला जादू से जुड़ी एक खतरनाक पुस्तक के संदर्भ में फैल रही है।
कहानी का प्रारंभ
गांव के मंदिर में आरव के परिवार द्वारा लाई गई धातु की एक संदिग्ध पुस्तक, जिसने गांव के बुजुर्गों को चिंतित कर दिया था, रहस्य का केंद्र बनी। पुस्तक में प्राचीन मंत्र, चित्र और रहस्यमय संकेत थे, जिन्हें देखकर गांव वाले डर गए।
आरव में आए बदलाव
पुस्तक को छूने के बाद आरव के व्यवहार में अचानक बदलाव आया। उसके आँखों में अजीब चमक और भय दिखने लगा, और वह बार-बार जंगल की तरफ देखने लगा।
- रात को उसकी आवाज़ें सुनाई देतीं, मानो कोई प्रेत उससे वार्तालाप कर रहा हो।
- उसके कमरे से ताश के पत्तों जैसी राख गिरती थी।
- कमरे का दरवाज़ा खुद-ब-खुद चरमरा कर बंद हो जाता था, और कमरे में ठंडी हवा और तेज खुशबू फैल जाती थी।
आरव की गायब होने की घटना
तीसरे दिन वह बिना चेतावनी के जंगल की ओर गया और फिर वापस नहीं लौटा। उसका बैग जंगल के पेड़ की जड़ में मिला, लेकिन कहीं से उसकी कोई सूचना नहीं मिली।
गांव की प्रतिक्रिया और रहस्य
गांव में डर और आशंकाएं फैल गईं। मंदिर की घंटी की आवाज और पुस्तक के पन्नों की खनक से माहौल और भी रहस्यमय हो गया।
पुस्तक में लिखा था: “जो इसे खोलता है, वह वापिस लौट कर नहीं आता।”
लोग अभी भी आरव की धीमी आवाज़ सुनते हैं, जो कहती है – “मैं यहाँ हूँ।”
निष्कर्ष
यह कहानी काला जादू, प्राचीन रहस्यों और अव्यक्त शक्तियों का एक ऐसा मिश्रण प्रस्तुत करती है जो गांव के लिए सदैव एक काला साया बना रहेगा।
संक्षिप्त सारांश:
एक छोटे उत्तर भारतीय गांव में आरव नामक युवक की रहस्यमयी लापता होने की घटना, एक प्राचीन काला जादू वाली पुस्तक से जुड़ी है। पुस्तक खोलने के बाद आरव में अजीब परिवर्तन आये और अंततः वह जंगल में गया और कभी वापस नहीं लौटा। यह कहानी गांव में काला साया छोड़ गई जो अब भी सन्नाटा और रहस्य फैलाता है।