
मुरादपुर गांव में एक रहस्यमय घटना ने पूरे समाज को हिला कर रख दिया है। गांव के भरोसेमंद व्यक्ति राघव प्रसाद की अचानक गुमशुदगी और शापित हवेली से जुड़ी अफवाहें इस कहानी को और भी भयानक बना देती हैं।
घटना का प्रारंभ
राघव प्रसाद, जो गांव की जमीन की गहराई तक जानकारी रखते थे, एक दिन घर से निकले और वापस नहीं लौटे। उनकी अंतिम जंगल यात्रा के बाद, गांव में अजीबोगरीब घटनाओं का सिलसिला शुरू हुआ। हवेली के आसपास संदिग्ध रोशनी, चीखें और अंधेरे में दिखाई देने वाली परछाइयां लोगों को बेचैन किए रखती थीं।
शापित हवेली का इतिहास
यह हवेली एक प्राचीन काला जादू के केंद्र के रूप में जानी जाती है। पुराने अनुष्ठानों ने यहाँ एक प्रेतात्मा को जन्म दिया जो आज भी वहां विचरण करता है। गाव के लोग इसे “शापित घर” कहते हैं और वहां जाने से डरते हैं।
राघव की गुमशुदगी और रहस्यमय पुस्तक
राघव के कमरे से मिली पुरानी किताब, जिसमें फकीर जैसी लिपि में जादुई अनुष्ठान लिखे थे, इस घटना को और जटिल बना देती है। गांव के बुजुर्गों का मानना है कि राघव ने ऐसी चीजों को छेड़ दिया जो मानवीय समझ से परे हैं।
गांव में फैली अफवाहें और पुलिस की जांच
हवेली के दरवाज़े से निकले काले साये, दीवारों पर मुंह के निशान, अजीब गंध, और युवाओं की रिकॉर्डिंग में मिली रहस्यमय रोशनी जैसे तत्व गांव में भय को और गहरा करते हैं। पुलिस ने इसे सामान्य गायब होने का मामला बताया, लेकिन गांव के अंधविश्वास इसे एक असामान्य घटना बनाते हैं।
मुख्य प्रश्न और रहस्य
क्या राघव उन अनुष्ठानों के चक्र में फंस गया? या हवेली का कोई और राज छिपा है जो उसे वापस लौटने से रोक रहा है? क्या यह कहानी खत्म हो जाएगी या हवेली फिर से किसी को जाल में फंसाएगी?
Summary: मुरादपुर गांव में राघव प्रसाद की रहस्यमय गुमशुदगी ने गांव को एक प्राचीन शापित हवेली के साथ जोड़ दिया है, जहां काला जादू और अंधकारमय अनुष्ठान मिलकर एक भयानक राज को जन्म देते हैं। इस कहानी में अंधेरा, भय, और अनसुलझे रहस्यों की झलक मिलती है जो अंत तक suspense बनाए रखती है।