
बरसात की भीगी शाम में एक युवक की अचानक गुमशुदगी ने मीरपुर गांव को दहशत में डाल दिया। अर्जुन नाम का यह युवक, जो काला जादू और रहस्यमय किताब के जाल में फंसा प्रतीत होता है, अपनी आखिरी नजरों में “मैं अभी आता हूँ” कहकर चला गया, लेकिन वापसी नहीं हुई।
मीरपुर, जहाँ हर पेड़-पौधे और मकान पुरानी और अंधकारमय कहानियाँ छुपाए हुए हैं, में अर्जुन के गायब होने के बाद अजीब घटनाएं शुरू हो गईं। मरे हुए जानवरों की लाशें अजीब हालत में मिलीं और खून से सनी पेड़ की शाखाओं पर पक्षी बैठते देखे गए।
रहस्य और मान्यताएं
गांव के बुजुर्गों की मान्यता है कि टेकड़ी के नीचे एक प्राचीन जादुई किताब दफन है, जिसमें काले जादू की रहस्यमयी शक्तियां छुपी थीं। अर्जुन की गायब होना इसी किताब से जुड़ा एक अनसुलझा राज़ था। जब युवाओं और बुजुर्गों ने जमीन खोदी, तो वहां से एक डरावना साया उभरा, जिसे सुनकर पूरा गांव सन्न रह गया।
मिला पुराना साक्ष्य
मिट्टी से एक किताब और एक पुरानी डायरी मिली, जिसमें अर्जुन ने लिखा था:
“जो चीज़ें हमें दिखती हैं, वे हमेशा सच नहीं होतीं। काले जादू की ताकत इतनी गहरी है कि मैं खो गया हूँ… कहीं अंधेरों में।”
गांव की राजनीति और भय
अर्जुन के गायब होने की रात एक अज्ञात व्यक्ति को देखने का दावा भी किया गया, जिससे हत्या के पहलू पर संदेह गहरा गया। परिवार में मनोवैज्ञानिक टूट-फूट देखी गई, और अर्जुन का छोटा भाई रातों में बेसुध होकर चिल्लाता रहा, यह कहकर कि अर्जुन की आत्मा गांव के पुराने कुएं में फंसी है।
अजीब वृतांत और विश्वास
गांव के कई निवासी रात के वक्त अर्जुन की आवाज़ें सुनते हैं और उसकी परछाई देखते हैं, जो अचानक धुंध में मिल जाती है। क्या यह मामला काला जादू का खेल है, हत्या है या अंधविश्वास का फल, इसका जवाब अभी भी मीरपुर के लिए एक अनसुलझा रहस्य है।
सारांश: मीरपुर गांव में अर्जुन की रहस्यमयी गायब होने की घटना काले जादू, प्राचीन जादुई किताब और रहस्यमयी शक्तियों के जाल में उलझी है। यह घटना गांव के अंधविश्वास, सामाजिक राजनीति और मनोवैज्ञानिक प्रभावों का मिश्रण प्रतीत होती है, जो आज भी गुमनाम साये की तरह मीरपुर के लोगों के दिलों में दफन है।