दिल्ली में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित अपराधों का एक नया युग शुरू होने वाला है, जो 2030 तक साइबर अपराध के क्षेत्र में बड़े बदलाव लेकर आएगा। तकनीकी प्रगति के साथ, अपराधी अब अधिक स्मार्ट और जटिल तरीकों से साइबर हमले कर रहे हैं, जिससे सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी चुनौती बढ़ गई है।
AI के कारण अपराध में आने वाले परिवर्तन
AI तकनीक के माध्यम से अपराधी अब निम्नलिखित तरीकों से साइबर अपराध को अंजाम दे रहे हैं:
- स्वचालित हैकिंग: AI एल्गोरिदम के जरिए त्वरित और प्रभावी हैकिंग होती है।
- फिशिंग और सोशल इंजीनियरिंग: लोगों को धोखा देने वाली तकनीकें ज्यादा परिष्कृत और विश्वसनीय बन गई हैं।
- डेटा चोरी: बड़े पैमाने पर व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी को चोरी किया जाता है।
साइबर सुरक्षा में नए सुधार
2030 तक सुधार की आशा के तहत सुरक्षा एजेंसियां निम्नलिखित कदम उठा रही हैं:
- AI आधारित सुरक्षा प्रणालियों का विकास जो तेज़ी से खतरों की पहचान कर सकें।
- जन जागरूकता कार्यक्रमों का विस्तार ताकि लोग साइबर हमलों से बच सकें।
- कानूनी और तकनीकी ढांचे का सशक्तिकरण।
निष्कर्षतः, दिल्ली में AI क्राइम का नया युग अत्याधुनिक तकनीकों के साथ समस्याएँ और समाधान दोनों ला रहा है। 2030 तक साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक होंगे।
