Summary: एक रहस्यमयी गांव में अर्जुन के गायब होने के बाद शुरू हुए अजीबोगरीब घटनाओं और काला जादू से जुड़ी भयानक कहानी।
रहस्यमयी गांव और अर्जुन का गायब होना
एक घुमावदार गली के छोटे से गांव में, जहां धूप भी डर के साये में छिप जाती है, एक ऐसी कहानी छुपी है जो सुनने वाले की रूह कांप उठती है। यह कहानी है अर्जुन की, जो एक सामान्य किसान था लेकिन उसकी जिंदगी एक दिन पूरी तरह से उलट-पुलट गयी।
गांव के लोग कहते हैं कि अर्जुन के गायब होने के बाद से वहां अजीबोगरीब घटनाओं का सिलसिला शुरु हो गया। वह दिन था जब अर्जुन खेत से वापस लौटते वक्त अचानक हवा के तेज झोंकों के बीच गायब हो गया। उसके घर के बाहर उसके बूट पड़े थे, मगर खुद अर्जुन का कहीं पता नहीं था।
गांव में फैला सन्नाटा और काला जादू
चरम सन्नाटा पसरा था गांव में। धीरे-धीरे लोगों ने महसूस किया कि यह कोई साधारण गायब होना नहीं था। महज संयोग नहीं, बल्कि कुछ पुरानी मान्यताओं में छुपा काला जादू काम कर रहा था। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि क्षेत्र में एक प्राचीन उपेक्षित हवेली है जिसे ‘खूनी हवेली’ कहा जाता है, जहां पिछले दशक में कई लोगों के फिर कभी लौट कर नहीं आने की खबरें आई थीं।
खूनी हवेली और पुरानी पुस्तक
अर्जुन की कहानी में भी एक गुप्त संकेत छुपा था। उसकी गायबगी के पहले कुछ रातों में, गांव के बच्चे कहते थे कि हवेली से अजीब सी रोशनी और चीखें सुनाई देती थीं। एक रात, गांव के एक युवक ने हवेली के अंदर जाने की हिम्मत दिखाई।
हवेली का दरवाज़ा धीरे-धीरे चरमराया, और सन्नाटा गूंज उठा। अंदर से एक पुरानी, धूल भरी पुस्तक मिली, जिस पर अनजाने प्रतीकों की पंक्तियाँ लिखी थीं—जैसे किसी प्राचीन जादू की पुस्तक।
साजिश, अफवाहें और मनोवैज्ञानिक तनाव
जैसे-जैसे कहानी खुलती गई, पता चला कि अर्जुन ने भी इस रहस्यमयी पुस्तक को छिपा रखा था, और उसकी खोज में कोई बड़ी साजिश छुपी थी। कुछ गांव वाले उसकी हत्या और काला जादू के प्रयोग की अफवाहें फैलाने लगे।
पर सत्य क्या है? क्या अर्जुन सच में काला जादू कर रहा था, या फिर वह किसी बड़े खतरे से बचने के लिए गायब हुआ? मनोवैज्ञानिक तनाव का माहौल छाने लगा, जहां हर कोई शक की नजर से देख रहा था। गांव में डर इस कदर फैल चुका था कि लोग रात को बाहर निकलने से डरने लगे थे।
अंतिम प्रयास और अनसुलझा रहस्य
पुरानी हवेली की गूंज अब हर कक्ष में महसूस की जा सकती थी, जैसे कोई छाया अभी भी वहां मौजूद हो। रहस्य तो अधिक गहरा होता चला गया। खोज जारी थी, लेकिन हर सुराग एक नए पेच में बदल जाता जैसा था।
अखिरकार, गांव वालों ने मिलकर फैसला किया कि उस रहस्यमयी पुस्तक को पुनः उस हवेली में ले जाकर दफन कर दिया जाए, ताकि यह अनहोनी समाप्त हो सके।
पर क्या सच में भूत पीछे हट गए? या फिर हवेली के अंधकार में अभी भी वह साया मौजूद है, जो लौट कर आने वाले का इंतजार करता है? यह सवाल आज भी गांव के उन सुनसान रास्तों और चुप्पी में गूंज रहा है—वो जो लौट कर नहीं आया।
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