
Summary: सोनपुर गांव के जंगल में एक रहस्यमयी गुमशुदगी ने काले जादू और अनसुलझे राज़ के बूँद-बूँद हालात को खोल दिया।
जंगल के बीचोंबीच छिपा हुआ काला रहस्य
साँसें थम सी गईं उस रात जब गांव के बीचोंबीच से गुजरते उस सुनसान रास्ते से अचानक एक चीख गगन को चीर गई। एक ऐसा दर्दनाक मंत्र, जो हर किसी के शरीर में सिहरन भर गया। वह जगह जहां सूरज की किरणें भी कांपती थीं, वह था एक पुराना जंगल, जिसके पेड़ सदियों से अनकहे राज छिपाए हुए थे। और उस राज के बीच, एक अजीब सी कहानी दबी हुई थी, जो अब रेगिस्तान के सूखे कण की तरह धूल में खो गई लगती है।
यह कहानी है सोनपुर गांव की, जहां के लोग अपने पूर्वजों की कथाओं में उन पेड़ों के बीच के दफन रहस्यों का हवाला देते थे। कुछ कहते थे कि वहां एक काला जादू छिपा है, जिसने कई लोगों की मौत का कारण बना। पर सच क्या था? क्यों तभी गांव में एक आदमी, अर्जुन, की गुमशुदगी ने पूरे माहौल को थका दिया?
अर्जुन की गायब होने की रात, आसमान पर बादल घिरे हुए थे और तेज़ हवा अपने साथ अनजानी आवाज़ें लाती थी। उसकी पत्नी ने कहा, “मैंने उसे जाते हुए देखा, लेकिन वापस नहीं आया।” आसपास के लोगों ने रातभर उसकी खोज की, पर वह जैसे धरती में समा गया था।
अब गांव के बुजुर्गों ने किस्से शुरू कर दिए—
- ‘शायद उसे उस काले जादू ने निगल लिया’
- ‘या फिर वह जंगल कुछ और ही राज छुपाता है’
अर्जुन के निकटतम दोस्त भी हैरान थे, पर कुछ तो था जो वे अपने शब्दों में कह नहीं पा रहे थे।
कुछ दिन बाद, गांव के एक बच्चे ने जंगल के पास इतना डरावना दृश्य देखा कि वह सदमे में चला गया। उसे लगा मानो जंगल के पेड़ों में जीवित छायाएं बंद हैं, जो निगल लेने को तैयार हैं। एक रहस्यमय संकेत भी मिला—जंगल की मिट्टी में कुछ उस्मारा निशान, जो किसी पुरानी पंथ के काले जादू को दर्शाते थे।
मनोवैज्ञानिक तनाव तब उभरकर आया जब लोगों ने कहा कि अर्जुन की आखिरी चीख जंगल की हवा में गूंज रही है। गांव की महिलाएं रात में चुपके से जंगल के किनारे जाकर एक काला धुंआ उठते हुए देखते, पर वह धुंआ तुमसिर कर आकाश में खो जाता।
हर कोई पूछता था—क्या अर्जुन जंगल के हाथों बना बलिदान? या उसके पीछे कोई दूसरी साज़िश थी? क्या यह कहानी सिर्फ डरावनी एक मिथक है, या है कुछ उससे भी भयंकर?
जैसे-जैसे रात गहराती, वैसे-वैसे कहानी और भी गहन होती चली गई। उस जंगल में दफ़न एक ऐसा राज़ छिपा था, जिसकी तह तक जाने की हिम्मत कम ही किसी में थी। और जो भी हुआ, उसका सच शायद कभी सामने न आए। दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा।
क्या अर्जुन फिर लौटेगा? या उसका वजूद सिर्फ एक गूंगी चीख के रूप में हम सबके दिमाग में रह जाएगा?
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