
Summary: एक छोटे गाँव की हवेली में छिपे काले जादू और रहस्यमयी गायब होने की घटना से जुड़ी भयावह कहानी।
अंदर छिपा साया: उस गाँव में दफन रहस्यों की चुप्पी
वह धुंध भरी शाम थी जब छोटे से गाँव का आकाश गहरा सा हो चला था। चारों ओर घने पेड़ों की छाया में से एक-कई छायाएं झांक रही थीं, मानो वे स्वयं किसी गुप्त राज़ की पहरेदारी कर रही हों। उस गाँव में, जिसे लोग अपनी सुस्त, साधारण जिंदगी के लिए जानते थे, अचानक सौंदर्य का ठिकाना बनने के बजाय एक रहस्यमयी हत्याकांड की गूंज फैल गई थी।
यह कहानी शुरू हुई उस रात से, जब गाँव के सबसे प्रतिष्ठित परिवार की किशोरी, सुमन, बिना कोई सुराग छोड़े, अचानक गायब हो गई। उसकी आखिरी झलक उस ताँगे पर थी, जो उस रात गाँव के किनारे स्थित पुराने खंडहरों की ओर जा रही थी। उस खंडहर को लोग ‘काल भैरव की हवेली’ कहते थे, क्योंकि वहाँ आज भी प्राचीन पंथों के काले जादू के संकेत पाए जाते थे।
गाँव में फैल गया एक अजीब सा भय। लोग कहने लगे कि सुमन की गायब होने के पीछे कोई अंधेरा रहस्य है, जो साधारण जर्जर हवेली में गहराई से दफन है। हवेली के भीतर से रात को अजीब-अजीब आवाज़ें आतीं और कभी-कभी दरवाज़े खुद-ब-खुद चरमराने लग जाते। कुछ बुज़ुर्गों का मानना था कि वहाँ के आधे उजड़े कमरे में अब भी एक प्राचीन, छुपा रहस्यमय काले जादू की किताब मौजूद है, जो किसी ने चोरी कर उसे मजबूत करने की कोशिश की।
जांच की शुरुआत हुई तो पता चला कि सुमन के फोन ने आखिरी बार उस क्षेत्र से सिग्नल भेजा था। मगर जब पुलिस हवेली पहुंची, तो उसने केवल पुरानी दरारें, बिखरे हुए पत्थर और एक फटी हुई तिजोरी पाई, जिस पर प्राचीन प्रतीक अंकित थे। तिजोरी में कोई कीमती चीज नहीं थी, लेकिन उस पर एक दस्तावेज मिला जिसमें अलौकिक प्रतीक और मंत्र लिखे थे। यह पंक्ति जैसे किसी काले जादू के बंधन का संकेत थी।
गाँव वाले बताते हैं कि कुछ दिन पहले, सुमन के पड़ोसी, जो अक्सर अकेले बैठ कर गुप्त तरीके से चीज़ें करते थे, कोई अजीब सा धुंध भरा उपदेश देते पाए गए। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, और उनकी बातें वास्तविकता की सीमा को टटोलती। वे कहते थे कि हर जादू का अंत भय और मौत की ओर जाता है।
जांच के दौरान एक और तथ्य उभरा। सुमन के कमरे से मिली एक अधूरी डायरी जिसमें उसने लिखा था कि वह हवेली में कोई छिपा रहस्य जान गई है – कोई मकसद जो दिखावा नहीं है। उसकी अंतिम पंक्तियाँ थीं: “अगर मैं लौटूँ तो आप विश्वास न करें, यह साया जो मेरे पीछे है, वह जीवित है।”
आखिर उस साये की सच्चाई क्या थी? क्या वह सचमुच काले जादू का एक प्रेत था, जो एक निर्दोष लड़की को निगल गया? या यह कोई मानव अपराध था, किसी के गुप्त इरादे का परिणाम? कोई गवाह नहीं था, कोई निशान नहीं। हवेली की वह पुरानी दीवारें सदियों की खामोशी में क्या छुपाए हुए थीं?
समय बीतता गया, लेकिन सुमन का कोई पता नहीं चला। हवेली पर एक अजीब सी सांयंकालीन शांति छा गई, मानो वहां कुछ बलशाली और अप्रत्यक्ष ताकतें अब भी कदमताल कर रही हों। गाँव वाले आज भी रात को दूर से उस हवेली की तरफ़ आशंका से देखते हैं, और कहते हैं – “वह जो लौट कर नहीं आया, उसका साया हवेली की दीवारों में आज भी जीवित है।”
यह कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि हमारे आस-पास के सबसे सामान्य स्थान भी कितने रहस्यमयी हो सकते हैं, और कौन सा साया वास्तव में अंधकार में छुपा है। क्या सुमन की कहानी का अंत भयावह सच है, या यह केवल एक अधूरी गाथा है, जो कभी पूरा नहीं होगा?
दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा। फिर उस सन्नाटे में एक गुमसुम सी आवाज़ गूंजने लगी – “क्या तुम उसे ढूंढ पाओगे?”
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