
Summary: एक छोटे गाँव की लड़की सावित्री की जंगल में रहस्यमय गायब होने की कहानी, जिसमें काला जादू, पंथ और अनसुलझे रहस्य छिपे हैं।
अंदर छिपा साया: जंगल की उस गुमशुदा लड़की की रहस्यमयी दास्तां
उफ़! वह घना जंगल, जहां हर पेड़ अपनी कहानी सुनाता है, उसी जंगल में हुई एक घटना ने पूरे इलाके को दहला दिया। सन 2023 की ठंडक भरी रात में, छोटी सी लड़की सावित्री अचानक गायब हो गई। वह अंतिम बार अपने गाँव के बाहर खामोशी और अंधेरे में खेलने निकली थी। उसके जाने के साथ ही ग़म और सूनापन गाँव को अपनी चपेट में ले गया।
जैसे-जैसे दिन बीते, गाँव वालों की आशाएँ डूबने लगीं, पर जंगल के बीच से अजीब सी गूँजें और रहस्यमय रोशनी की खबरें फैलने लगीं। कई ने अंधेरे में फुसफुसाते स्वर और अधकचरे क़दमों की आहट सुनी, जो किसी इंसान से अधिक किसी परछाई की तरह लगते थे। गाँव की बुज़ुर्ग महिलाओं का कहना था कि यह जंगल किसी काले जादू की गिरफ्त में आ चुका है, और सावित्री को वहां का ‘बंदिश’ कर दिया गया है।
तलाश अभियान के दौरान, हत्याकांड या ग़ायब होने की शंका ने पुलिस को उलझा दिया। जंगल की काली छाँव के बीच बिखरे निशान, टूटी हुई लकड़ी, और जानवरों के डर से पीछे हटने की दास्तां कुछ और ही कह रही थी। उस जगह को छूने वाला हर इंसान बता रहा था कि उसे कुछ रहस्यमय शक्ति की पकड़ महसूस हुई। कई गांव वाले आशंका जताने लगे कि सावित्री के साथ कुछ काला जादू हुआ है। क्या किसी ने उसकी आत्मा पकड़ ली है? क्या गांव के अंधविश्वास सच हैं?
एक दिन, जंगल के गहराई में अनदेखी सुरंग जैसी कोई जगह मिली, जिसके दीवारों पर पुरानी प्रतीक और चित्र थे जिनका अर्थ कोई समझ नहीं पाया। उन चित्रों में किसी प्राचीन पंथ का संकेत था, जिसके विषय में गाँव की कहानियाँ सदियों से चल रही थीं। यह वही जगह थी जिसे गाँव वालों ने ‘खोया हुआ रहस्य’ कहा। धीरे-धीरे खुलासे होने लगे कि सावित्री केवल जंगल में नहीं, बल्कि किसी अनजानी दुनिया की सीमा पर खो गई है।
वहाँ के अंधेरे में जो कुछ भी था, उसने इंसानों की समझ को चुनौती दी। किसी की आवाज़ कहती थी कि सावित्री अभी भी जिंदा है, पर वह लौट कर नहीं आएगी। उसकी कहानी उस साये की तरह बन गई जो गांव में कभी ठंडी हवा के साथ आता है, कभी रात के सन्नाटे में। आधुनिक विज्ञान भी उस रहस्य को समझ पाने में असमर्थ था। पुलिस अब सवालों के घेरे में थी, और गाँव में अब भी डर के साये थे कि कहीं वह भयंकर जादू फिर से जिंदा न हो जाए।
दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराने लगा, और सन्नाटा गूंज उठा। क्या सावित्री के गायब होने के पीछे कोई इंसानी हाथ था, या ये सच में जादू और रहस्यों का खेल था? क्या वह बची हुई है या पूरी तरह खो चुकी? और वह जंगल, जो हर बार अपनी पत्तियों के बीच से चुभती आंखों की तरह टकटकी लगाए रहता है, क्या फिर कभी उजाला देख पाएगा?
ये सवाल आज भी जवाब के इंतजार में हैं। इस गुमशुदा कहानी का साया हरदम उस जंगल में छिपा रहता है, जहां हर झरने की आवाज़ से साये की किसी पुरानी बात का पता चलता है। क्या आप उसे समझ पाएंगे? क्या आप उस रहस्य के करीब जाएंगे? या फिर वो साया आपको भी अपनी चपेट में ले लेगा?
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