
Summary: यह कहानी एक गाँव की प्राचीन हवेली में छिपे काले जादू और रहस्यों की है, जहाँ से कोई कभी वापस नहीं लौटा।
उस हवेली के अंदर छिपा साया
जब शाम की नीली परछाइयाँ गाँव की पुरानी गलियों पर पड़ने लगती हैं, तो हवेली के खिड़कियों से गूंजती चीखें अचानक सन्नाटे में बदल जाती हैं। यही एक ऐसी जगह है, जहाँ से लोग कभी लौट कर नहीं आए। कई वर्षों से हवेली के बारे में अफवाहें चलती आई हैं, मगर जो सच छिपा है, वह कहीं और ही दफन है।
सभी बातें उस दिन शुरू हुई जब एक युवा पत्रकार वृंदा ने अपनी खोजी प्रकृति के चलते गाँव की सबसे रहस्यमय हवेली की ओर कदम बढ़ाया। हवेली की दीवारें कब की जर्जर हो चुकी थीं, और उसके चारों ओर घनी झाड़ियों ने उसे पूरी तरह से छुपा रखा था। उसके अंदर का वातावरण ठंडा, दमघोंटू और गूंजता हुआ था, जैसे दीवारों से फुसफुसाती आवाज़ें निकल रही हों।
गाँव वाले बताते हैं कि हवेली में ‘काला जादू’ का प्राचीन अभ्यास होता था। पुराने दस्तावेज़ों से पता चलता है कि यहाँ पंथ और रहस्यमयी अनुष्ठान आयोजित किए जाते थे। कुछ लोगों ने अजीब चमकीले प्रकाश और रात के अंधेरे में रहस्यमय छायाओं को देखने की सूचना दी।
वृंदा ने वहाँ छुपी हुई एक पुरानी डायरी को खोज निकाला, जिसमें हवेली के पूर्व मालिक ने अपने रहस्यों को छुपाने की जिद की थी। वह डायरी कई पंक्तियों में गुप्त संकेत और काले जादू के मंत्रों का उल्लेख करती है।
जैसे-जैसे वृंदा ने इन पन्नों को पढ़ा, उसके मन में भय और जिज्ञासा का अजीब सा मिश्रण पैदा हुआ। अचानक से हवेली का दरवाज़ा चरमरा उठा, और सन्नाटा गूंज उठा। वृंदा ने सोचा कि कोई या कुछ था जो उसे बाहर जाने से रोकना चाहता था।
आसपास के गाँव वाले बताते हैं कि पिछली बार जब कोई उस हवेली में अकेला गया, तो वह व्यक्ति अगले दिन से गायब था। पुलिस ने आधिकारिक तौर पर गायब होने की जांच की, लेकिन कुछ साक्ष्य नहीं मिल सके। इसके बाद हवेली को कोई छूने की हिम्मत नहीं करता।
रहस्य अब भी हवेली की दीवारों में गूँजते हैं, और वहाँ का काला जादू और मृतकों की आवाज़ें जैसे हर रात के पर्दे में कुछ अनजानी बातें छुपाती हैं। क्या वृंदा इस पहेली को सुलझा पाएगी? या वह भी उन रहस्यों का हिस्सा बन जाएगी जिनका कभी खुलासा नहीं हुआ?
मुख्य सवाल
- क्या उस हवेली के अंदर छिपा साया सचमुच कोई बुरा जादू है?
- या कुछ और भी गहरा रहस्य है?
- आखिर किसने किया था उस हवेली में काले जादू का अभ्यास?
- क्या उस पंथ और अनुष्ठानों का कोई आज भी असर बाकी है?
यह कहानी आपको विचित्रताओं, रहस्यों और मनोवैज्ञानिक तनाव की धीमी परतों में लेकर जाती है, जहाँ हर मोड़ पर नया सवाल खड़ा होता है।
सावधान रहें! क्योंकि कोई भी जिसे उस हवेली की मुग्धता ने छुआ, कभी वैसा नहीं रहा।
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