
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में पारित किया गया “टेक इट डाउन एक्ट” ऑनलाइन सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कानून बिना अनुमति के इंटिमेट या आपत्तिजनक तस्वीरें साझा करने को अपराध घोषित करता है, जो न केवल असली बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से बनाये गए नकली चित्रों पर भी लागू होता है।
कानून के मुख्य बिंदु
- किसी की सहमति के बिना निजी तस्वीरें या वीडियो ऑनलाइन साझा करने पर तीन साल तक की जेल हो सकती है।
- वेबसाइट्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को पीड़ित की शिकायत मिलने के 48 घंटे के अंदर आपत्तिजनक कंटेंट हटाना अनिवार्य होगा।
- कानून बच्चों, युवाओं और वयस्कों की ऑनलाइन सुरक्षा को विशेष प्राथमिकता देता है।
पिछला प्रयास और समर्थन
लेडी मेलानिया ट्रंप ने इस कानून को लेकर जोरदार अभियान चलाया था, खासकर डिजिटल उत्पीड़न से बच्चों और युवाओं को बचाने के मकसद से।
मेटा, टिकटॉक, और स्नैपचैट जैसी प्रमुख टेक कंपनियों ने इस कानून का समर्थन किया है, जबकि कुछ डिजिटल अधिकार समूह इसके दुरुपयोग की आशंका जता रहे हैं।
कानून की संभावित चुनौतियां और प्रभाव
- निजता और सुरक्षा: यह कानून इंटरनेट पर निजता की नई मिसाल कायम करेगा और ऑनलाइन उत्पीड़न से लड़ने में मदद करेगा।
- विवादों के संकेत: कुछ पहलू विवाद पैदा कर सकते हैं, जैसे कानून का गलत इस्तेमाल या सीमाओं की व्याख्या।
- AI तकनीक का प्रभाव: AI जनित नकली चित्रों और वीडियो के दुरुपयोग को रोकने के लिए यह कानून बेहद जरूरी है।
इस तरह, “टेक इट डाउन एक्ट” ऑनलाइन दुनिया में सुरक्षा के लिए एक नई सुरक्षा कवच की तरह कार्य करेगा, जिसका उद्देश्य खासकर महिलाओं, किशोरियों और सभी उपयोगकर्ताओं की छवि और निजता की रक्षा करना है।
अधिक जानकारी और नवीनतम अपडेट पाने के लिए DEEP DIVES के साथ जुड़े रहें।