
Summary: एक पुराने गांव की सुनसान हवेली जहां तीन साल पहले हुई एक रहस्यमयी हत्या और गायब युवक के काले जादू से जुड़े भयानक राज आज भी लोगों के दिलों में डर बनकर छाए हैं।
खूनी हवेली की गूंज: अंदर छिपा साया जो लौट कर नहीं आया
बारिश की बूंदें जैसे किसी अनकहे सच को छिपाने के लिए धरती को धो रही हों, वैसे ही उस पुराने गांव की वीरान गलियों में एक अजीब सी सन्नाटा था। हवेली, जिसे लोग ‘भटकती आत्मा की छावनी’ कहते थे, और जिसकी दीवारों पर सालों से कोई छाया न पड़ सकी। यह जगह कई रातों से सुर्ख़ियों में थी, क्योंकि यहाँ एक रहस्यमयी हत्या का तीसरा साल सामने आया था।
वहाँ का मौसम, ठंडा और धुंध भरा, जैसे हवेली खुद किसी गहरे अतीत की दास्तान सुनाना चाहता हो। हवेली के अंदर घुसते ही पुरानी लकड़ी की चरमराहट और दीवारों से टपकते पानी की बूंदें मिलकर एक जैसे दिल की धड़कनों को तेज कर रही थीं। गांव वाले कहते हैं कि रात के समय हवेली के खिड़कियों से कभी-कभी फीकी रोशनी झलकती है, और अंधेरे में किसी का साया घूमता रहता है, जो कभी लौट कर नहीं आता।
तीन साल पहले, उसी हवेली में एक युवक गायब हुआ था। उसका नाम रहस्यमयी था, कोई भी उसके अतीत से परिचित नहीं था। खबर आई कि वह कुछ संदिग्ध गतिविधियों में उलझा था, जिसमें काला जादू और पंथ की झलक थी। पुलिस ने जांच की, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं मिला। केवल एक पुरानी किताब मिली, जिसमें अंधकार और जादू के गूढ़ रहस्य लिखे थे। उस किताब में गहरे रहस्यमय संकेत थे, जो किसी को भी डराने के लिए काफी थे।
कहते हैं, उस युवक की गायब हुई रात तेज़ हवा चली थी, और हवेली के पुराने दरवाजे की कुंडी खुद-ब-खुद गिर गई। अगले दिन, हवेली के पिछले हिस्से से अजीब सी गंध आने लगी, जिसे न तो कोई पहचान पाया और न ही उसका कोई ठोस कारण मिल पाया। गांव के बुजुर्गों का कहना था कि यह काले जादू की कौंध है, जो हवेली में दफन राज़ को जगाती है।
जैसे-जैसे समय बीता, गांव में डर और शक दोनों फैलने लगे। कुछ लोगों ने हवेली के आस-पास अजीब सी परछाइयाँ देखी, जो किसी को भीतर बुला रही थीं।
अजीब अनुभवों की सूची:
- एक बार तीन बच्चे रात को हवेली के करीब से गुजर रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि हवेली की एक खिड़की से लाल रोशनी निकल रही थी।
- भीतर से किसी अज्ञात मंत्र की आवाज़ आ रही थी।
- डर के मारे वे बच्चे भाग खड़े हुए, उसके बाद कोई भी उस तरफ गुज़रने की हिम्मत नहीं करता।
मैंने भी तह तक जाने की कोशिश में हवेली के अंदर कदम रखा। दरवाज़ा धीरे-धीरे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा। अंदर, दीवारों पर धुंधली रोशनी में कुछ चिन्ह उकेरे हुए थे, जो किसी अज्ञात पंथ की याद दिलाते थे। वहीं एक पुराने मेज़ पर वह जादुई किताब पड़ी थी, जिसके पन्ने खुद-ब-खुद धीरे-धीरे पलट रहे थे, और हवा में किसी की फुसफुसाहट सुनाई दे रही थी। उस पल ऐसा लगा जैसे हवेली के भीतर छिपा वह साया मुझे देख रहा हो, जो लौट कर नहीं आया।
पुलिस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उस युवक की मौत के कारण अस्पष्ट ही अंकित थे। रिपोर्ट कहती थी कि वह गायब हुआ और बाद में मृत पाया गया, लेकिन शव बिना किसी चोट के, मानो आत्मा-ही-आत्मा हो। इस रहस्य में एक गहरा भेद छुपा है जो आज भी किसी के समझ में नहीं आया। क्या वह साया सच में कोई इंसान था या फिर काले जादू की किसी पुरानी मान्यता का काला स्वरूप?
इस मौत के बाद कई दिनों तक गांव में तनाव का माहौल रहा। कोई भी उस हवेली के पास नहीं जाता और जो गया, उसने भी अजीब अनुभवों का जिक्र किया। गुप्त बातों और संदिग्ध कृत्यों के बीच यह मंज़र ज्यादा भयावह होता गया। क्या हवेली में अब भी कोई प्रेतात्मा बसता है, या यह घटना पूरी तरह एक भयानक धोखा थी? कई सवाल अनुत्तरित रह गए, और रहस्य की चादर और भी मोटी होती चली गई।
शाम के अंधेरे में जब हवेली पर फिर से चांदनी पड़ती है, तो लगता है जैसे कोई पुराना राज़ फिर से जिंदा हो रहा है। गांव वाले कहते हैं कि उस साए की परछाई अब तक हवेली की दीवारों पर नाचती रहती है।
कौन था वह जो गया, पर कभी लौटा नहीं? क्या सच में काला जादू था या सिर्फ एक भयभीत कल्पना? यह रहस्य, जो ठीक से कभी उजागर नहीं हो पाया, आज भी हवा के सुर में फुसफुसाता है।
शायद वह साया कभी वापस न आए, लेकिन उसकी गूंज हवेली में उम्र भर रहेगी। और इस गूंज में छिपे उन अनसुलझे राज़ों को जानने की चाह में, कोई भी फिर उसी पुराने दरवाज़े के पास जाने से नहीं डरता।
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