
Summary: एक पुरानी हवेली में घुसे पत्रकार आर्यन की गायब होने की सच्ची कहानी, जहां काला जादू और दफन रहस्यों ने उसे हमेशा के लिए निगल लिया। हवेली की डरावनी आत्माएं, रहस्यमय डायरी और अचानक छा जाने वाला सन्नाटा इस कथा की मुख्य झलकियां हैं।
खूनी हवेली की गूंज: अंदर छिपा साया जो लौट कर नहीं आया
सन्नाटे की चादर ओढ़े उस पुरानी हवेली के नीचे जो गलियों में गुम होती नजर आती थी, एक अजीब-सी थरथराहट घर कर गई थी। उस भवभवाले मकान की दीवारें, जिन पर वर्षों से धूल के कैमरे फंदे में लटके थे, किसी डरावनी दस्तक की गूँज सुनाने को बेताब थीं। शहर के बाहर, घने जंगल के बीच फैली उस हवेली की संभावना से ही कयामत का आभास होने लगता था। ये कहानी है उस व्यक्ति की, जो उस हवेली के कमरे में आया, और फिर कभी लौट कर नहीं आया।
सितम्बर की कड़कती हवा में, कांपते हुए पत्तों की खड़खड़ाहट के बीच, एक आदमी – आर्यन – जो पेशे से पत्रकार था, उस अजीबोगरीब घटनाओं की तह तक जाने को तैयार था। उसकी दिलचस्पी उस इलाके में पिछले महीनों हुई हत्याओं और गायब होने वाले लोगों की वजह से बढ़ गई थी। कहावतें थीं कि उस हवेली में कुछ अलौकिक शक्ति का वास है, जो इंसानों की आत्माओं को जाल में फंसाती है। स्थानीय लोग उसे काला जादू का गढ़ बताते थे, जहां ‘दफन राज’ करवाए गए थे।
आर्यन का पहला कदम उस हवेली की टूटी-फूटी सीढ़ियों पर पड़ा। हवा में घुली अजीब सी गंध, जैसे कहीं से गलती से उन पुरानी किताबों की खुशबू आई हो, जो जादू-टोने और रहस्यमय शक्ति की तरह गंदे पन्नों से छलकती हो। ठंडी रात में, जब चाँद भी छुपा हुआ था, हवेली के अंदर घुसते ही उसे दरवाज़ों की चरमराहट और कहीं दूर से अचानक गूंजते पैरों की आवाज़ महसूस हुई।
कभी-कभी, लगता जैसे हवेली खुद सांस ले रही हो। उसमें छिपा हुआ साया, जो न दिखता, न छूता था, पर आर्यन की आँखों के सामने बार-बार उठ खड़ा होता। उसकी छाती में बजी उस अजीब सी ताल जब धीरे-धीरे तेज होने लगी, तो वह समझ गया कि यह मामूली हवेली नहीं, बल्कि किसी खतरनाक जादू और रहस्यमय शक्तियों का केंद्र है।
हवेली की भटकती आत्माओं की कहानियों के बीच, आर्यन एक पुरानी डायरी तक पहुंचा, जिसमें काले स्याह अक्षरों में कुछ बिना समझे जाने वाले शब्द लिखे थे। डायरी के पन्ने ज्यों-ज्यों पलटते गए, ऐसा लगा मानो हवेली का इतिहास खुल रहा हो, जिसमें काला जादू, बलि की ऋचा और गुंथे हुए रहस्यों की गहराई समाई हुई थी। हर शब्द में थरथराहट थी, और हर पन्ने के अंत में एक नई डरावनी सच्चाई छिपी हुई थी।
परंतु अचानक, हवेली का दरवाज़ा चरमराकर खुला, और घना सन्नाटा छा गया। बाहर की रोशनी एकाएक गायब हो गई, जैसी दुनिया के सभी रंग और आवाजें रूंध गई हों। उस घड़ी आर्यन ने महसूस किया कि केवल हवा नहीं, बल्कि कुछ और भी उसकी सांसों पर कब्ज़ा जमा रहा था। वह जानता था – जो भी उस हवेली में था, वह अब उससे भी गहरा और खतरनाक था।
जैसे-जैसे रात गहराती गई, वो खो चुका था, हवेली की खामोशी में कहीं भीतर दफन ‘राज़’ ने उसे जकड़ लिया था। उस दिन के बाद, आर्यन की कोई खबर नहीं मिली, लेकिन उसकी डायरी के आखिरी पन्ने हवेली की काली स्याही में रुक-रुक कर थमी धड़कनें बयां कर रही थीं। उस डायरी का सच और हवेली का साया, दोनों आज भी एक-दूसरे में लिपटे हुए हैं।
क्या वह साया वास्तव में मौत से भी बाहर था? या हवेली ने उसे इस दुनिया से हमेशा के लिए निगल लिया? कोई नहीं जानता। दरवाज़ा धीरे-धीरे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा।
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