
गहरे अंधेरों में लिपटी एक पुरानी हवेली की कहानी है, जहाँ एक रहस्यमय घटना ने गांव को हिला कर रख दिया। मेहंदीपुर गांव की यह हवेली कभी अमीर ज़मींदार की थी, लेकिन आज वहां सिर्फ खामोशी और डर का राज्य है। हवेली की दीवारों पर बसी कहानियाँ अब हवा में बिखरती जा रही हैं, पर उनका रहस्य अभी भी अधूरा है।
उस रात हवेली के अंदर एक अजीब हलचल हुई और रमेश, जो यहाँ सर्दी बिताने आया था, वापस नहीं लौटा। उसकी आखिरी नजरें तहखाने में देखी गईं, जहां एक बंधा हुआ दरवाजा था। गांव में अफवाहें फैल गईं कि वह काला जादू के प्रभाव में आ गया है या फिर कोई अनसुलझा रहस्य उसे अपने साथ ले गया।
तहखाने से आई बुरी गंध, हवा में फैली खामोशी, और हवेली के आसपास दिखने वाली परछाइयाँ डरावने संकेत हैं। रमेश ने पंडितों की एक संदिग्ध मंडली से एक किताब प्राप्त की, जिसमें काला जादू और मृतकों के साथ संवाद करने के रहस्य छुपे थे। हवेली में दुबके पुराने दस्तावेज़ और गांव वालों के अधूरे किस्से इस रहस्य को गहरा करते हैं।
रमेश के गायब होने के बाद, हवेली से आई आवाज़ें उस पुराने ज़मींदार की आत्मा की मानो गाथा सुनाती हैं, जो अब भी अपने अधूरे कामों का बदला चाहती है। किसी ने अंदर जाने की हिम्मत नहीं दिखाई, क्योंकि डरावने संकेत बहुत स्पष्ट थे।
सबसे बड़ा सवाल यह बना हुआ है कि क्या रमेश उस पहेली को सुलझाना चाहता था, या खुद काले जादू की जाल में फंस गया? हवेली की दीवारों पर छुपे निशान, भूले-बिसरे मंत्र और कहानी के सूक्ष्म संकेत एक भयानक सच की ओर इशारा करते हैं, जो गांव के लिए एक अनजान डर बन गया है।
समय के साथ यह रहस्य अफसानों में बदल गया, लेकिन बुजुर्ग अभी भी सावधान करते हैं कि “उस हवेली में एक साया है जो कभी लौट कर नहीं आता।” इसकी परछाई आज भी हवेली में टहलती है और हर तिमिहानी रात उसे नया रंग देती है।
क्या यह खौफनाक इतिहास कभी सामने आएगा? या यह रहस्य हमेशा धुंध के पीछे छिपा रहेगा जहां केवल चुने हुए ही उसकी गहराईयों तक पहुंच सकते हैं। ऐसे ही रहस्यमय कथाओं के लिए जोड़े रहिए DEEP DIVES के साथ।