
Summary: एक गाँव की पुरानी हवेली में घटित रहस्यमयी घटनाएं, गायब युवक और काला जादू की छाया में छिपा अंधकारमय राज़।
गाँव में दफन राज़: वो जो लौट कर नहीं आया
सर्द हवा के बीच, जब पुरानी हवेली की खिड़कियाँ टूट-फूट के कारण चरमरा रही थीं, तब गाँव के लोगों के दिलों में एक अजीब-सी आशंका घर कर गई थी। वह हवेली, जो सदियों से वीरान पड़ी थी, आज फिर से चर्चा में थी – कुछ ऐसा हुआ था जो एक गहरी छाया की तरह गाँव के ऊपर मंडरा रही थी। कहानी शुरू होती है उस बच्चे से, जो कभी लौट कर नहीं आया।
यह वह समय था जब गाँव के लोगों के बीच अजीब सी खबरें फैलने लगीं – हवेली से जब-जब अंधेरी रात में बन्न बजती, तब-तब कोई रहस्यमयी आवाज़ कानों में पड़ती। कोई उसे नजर नहीं कर पाता, लेकिन पता चला उन रातों में एक लाल रंग की छाया हवेली के बाहर उभरती है। इस छाया के पीछे क्या था? कोई जवाब नहीं था, बस डर और गुस्से के मिश्रित भाव।
1874 की ठंडी शाम, जब सूरज डूब रहा था, गाँव के एक युवक अनस ने हवेली के अंदर कदम रखा। वह कोई साधारण युवक नहीं था, बल्कि गाँव के पुराने पंथ से जुड़ा था, जिसे काला जादू के गुण दिए गए थे। लोग कहते थे कि अनस के पिता ने किसी गुप्त किताब से उन शक्तियों को सीखा था, जो प्रकृति के नियमों के खिलाफ थीं। अनस ने कुछ खोज निकाले थे, जो गाँव की बुनियादें हिला सकती थीं।
धीरे-धीरे गाँव के लोग महसूस करने लगे कि अनस की ये गतिविधियाँ सिर्फ विज्ञान से परे, किसी रहस्य और भय से भरी थीं। उसका व्यवहार बदल गया। उसकी आँखों में एक अजीब चमक आ गई, मानो उसने कोई कला सीखी हो, जो इस दुनिया की नहीं। हवेली के पुराने दरवाज़े के पीछे जैसे एक भयानक शक्ति जाग उठी हो।
एक रात उस हवेली से अजीब चीख़ें सुनाई दीं। दुर्घटना या हत्या? किसी ने कुछ नहीं देखा, पर अनस अगली सुबह गायब था। उसके कमरे से एक पुरानी, धुंधली पन्नों वाली किताब मिली, जिस पर अजीब-अजीब निशान बने हुए थे। गाँव के बुजुर्गों का कहना था कि ये कोई साधारण किताब नहीं थी, बल्कि काला जादू और पंथों की प्राचीन डायरी।
हवेली में उसकी गुमशुदगी के बाद, गांव में और भी घटनाएं हुईं – गायब होते लोग, बार-बार लाल छाया का तेज नजर आना, और रहस्यमयी सुराग जो कभी किसी थाने या अधिकारी के पास नहीं पहुंचे। पल-पल बढ़ती असमंजस की स्थिति ने गाँव को भय और सन्देह के कुचक्र में फंसा दिया।
मुख्य प्रश्न:
- क्या अनस सच में काला जादू की शक्ति में फंस गया था?
- या वह कहीं और छिपा था, जो अपने साथ एक गहरा राज़ लेकर गया?
- उस रात की चीख़ें, जो हवेली से आई थीं, क्या वे शोर थीं या किसी पुराने प्रेत की पुकार?
समय ने उस भयावह कहानी को एक धुंधली याद में बदल दिया है, लेकिन हवेली का दरवाज़ा आज भी खुला हुआ है, और उस लाल छाया की कहानी आज भी गाँव के बच्चों के बीच डर की कसक लिए फुसफुसाती है। कोई नहीं जानता कि वह छाया सच में कौन थी, या क्या वह कभी वापस आएगी।
दरवाज़ा धीरे-धीरे चरमरा गया… और सन्नाटा गूंज उठा।
आप सोचते हैं कि यह कहानी यहीं खत्म हो गई? या उस हवेली के अंदर आज भी कुछ ऐसा छिपा है, जो उजाले से परे है?
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