
चुन्नीपुरा गाँव की पुरानी हवेली में दफन है कई रहस्यों का साया, जो भटकते मनोज़ की गुमशुदगी से जुड़ा एक खौफनाक सच छुपाए हुए है। जैसे ही दिन ढलता है, हवेली की टूटी-फूटी खिड़कियाँ रहस्यमय चमकने लगती हैं, और गाँव वाले वहाँ जाने से कतराते हैं। इस हवेली में अब भी एक अभिशप्त किताब काला जादू का जरिया बनी हुई है, जिससे जुड़ी डरावनी कथाएँ पंथ की अंधकारमय रस्मों तक ले जाती हैं।
रहस्यों से घिरी मनोज़ की गुमशुदगी
मनोज़ का अचानक गायब होना गाँव में एक तरह से सदमा लेकर आया। उसकी खोज में जुटे गाँव वाले, हवेली की फुसफुसाती दीवारों और पेड़ों की सरसराहट के बीच अजीब अजीब घटनाओं का सामना करने लगे। हवेली को लेकर बुजुर्गों की बातों में वह पंथ भी शामिल था, जो अँधेरे में शक्ति पाने की रहस्यमय रस्में करता था।
हवेली में छिपा खौफनाक सच
हवेली की दीवारों में दरारें, जमीन पर मिले अजीब निशान, और उस साए की परछाई जो कभी लौट कर नहीं आई, ये सभी इस बात का इशारा करते हैं कि यह जगह कुछ अधिक ही भयावह है। सच और भ्रम की सीमाएँ धुंधली पड़ जाती हैं और जो भी उस हवेली में जाता है, कहीं न कहीं उसकी वापसी अधूरी रह जाती है।
सारांश
चुन्नीपुरा गाँव की पुरानी हवेली में छिपा है एक गहरा रहस्य जो बालक मनोज़ के अचानक गायब होने से शुरू होता है। हवेली में बनी रहस्यमय अभिशप्त किताब, उस पर चलने वाला अंधेरे का पंथ, और हवेली के आस-पास छिपे काले जादू के निशान इस गुत्थी को और भी जटिल बनाते हैं। हवेली की मौन गवाहियाँ, उसके फुसफुसाते दीवारें, और लौट कर न आने वाली परछाईयों की कहानी हमें एक ऐसे अंधकारमय अध्याय की ओर ले जाती हैं जिसमें भय, रहस्य और रहस्यमय शक्तियों का अड्डा है। यह वह कहानी है जो शायद कभी पूरी तरह नहीं खुल पाएगी, पर अपनी गूंज में गाँव के पुराने किस्सों को आज भी जीवित रखती है।
महत्वपूर्ण बातें:
- मनोज़ की अचानक गुमशुदगी
- हवेली में छिपा अभिशप्त किताब और काला जादू
- अंधेरे में शक्ति पाने वाले पंथ की रहस्यमय रस्में
- हवेली की दरारें और जमीन पर मिले अंधेरे निशान
- रहस्यमय साया जो लौट कर नहीं आया