
गांव की एक सुनसान हवेली में काला जादू और रहस्यमय घटनाओं की एक डरावनी कहानी, जो आज भी अनसुलझे सवालों की परतें खोलती है।
रहस्यमय उस रात की शुरुआत
अंधेरा घना था और एक उकसाती हवा गाँव की पुरानी गलियों से गुजर रही थी। सूरज की आखिरी किरण के साथ ही गाँव के किनारे स्थित उस सुनसान हवेली से एक चीख निकली, जिसने पूरे गांव को हिला दिया। यह हवेली सदियों पुरानी थी, बरगद के पेड़ों से घिरी और दीवारों पर समय के दाग़ थे। गाँव के बुजुर्गों की मानें तो वहां कभी काला जादू हुआ करता था।
अमित की खोज
अमित, जो कि गाँव का नौजवान पत्रकार था, इस रहस्य को उजागर करने के लिए वहां गया। हवेली में कदम रखते ही उसे ठंडी हवा की लहर महसूस हुई। हवेली की दीवारों पर पुराने निशान, फटे पर्दे और अजीब पुतले मौजूद थे। अचानक ऊपर से एक गूँजी हुई आवाज़ आई, जो उसे सताती रही।
रहस्यमय किताब और घटना
तलहटी में अमित को एक पुरानी किताब मिली, जो खून के दाग़ों से भरी थी और काला जादू के संकेत देती थी। जैसे ही उसने किताब पढ़नी शुरू की, हवेली के दरवाज़े चरमराकर बंद हो गए। पुतलों की छायाएँ जीवंत हो उठीं और एक ठंडा साया उसकी पीठ के पीछे दिखाई दिया। उस साये ने चेतावनी दी — “छोड़कर जाओ, या तुम भी उसी में दफन हो जाओगे।”
अस्पष्ट अंत और अनसुलझे सवाल
उस रात अमित का अता पता नहीं चला। गाँव वाले अब भी उस घटना के बारे में चुप हैं पर हवेली के पास से कभी-कभी चीख सुनाई देती है और रहस्यमय निशान दीवारों पर उभर आते हैं। सवाल उठते हैं कि क्या यह सच में काला जादू था या केवल एक मनोवैज्ञानिक खेल? अमित की कहानी कहीं पूरी नहीं हुई, और शायद वह अभी भी किसी साये के पीछे अपनी जुबां खोलने का इंतजार कर रही है।
सारांश
यह कहानी गांव की सुनसान हवेली में हुई रहस्यमय घटना पर आधारित है, जहाँ काला जादू, डरावनी आवाज़ें और अनसुलझे प्रश्न आज भी लोगों के दिमाग में साया बनकर बसे हुए हैं। अमित की खोज और उस रात की घटना ने गांव को सदमे में डाल दिया, और यह सवाल बना हुआ है कि उस हवेली में क्या दफ़न है — एक रहस्य जो इंतजार कर रहा है उजागर होने का।