
गांव की ठंडी हवा और पेड़ों की छाया के बीच बसा वह छोटा सा गांव हमेशा से ही कई अनसुनी कहानियों को छिपाए हुए था। यह कहानी है मृगनयनी की, जो एक सालों पुरानी रहस्यमय घटना की नायिका बनी। जुलाई की आखिरी रात को उसकी अचानक गायब होने की घटना ने पूरा गांव एक गहरे रहस्य में डाल दिया।
मृगनयनी को आखिरी बार उस पुरानी हवेली के पास देखा गया था, जिसे गांव के लोग काला जादू और प्रेत आत्माओं से भरा माना करते थे। हवेली का जंग लगा दरवाज़ा और उसकी दरारों के बीच से नाचती हुई धुंधली रोशनी सभी के मन में भय और जिज्ञासा दोनों जगाती थी। बुजुर्गों की मान्यता थी कि उस हवेली में एक काली किताब दफन है, जो काले जादू और प्रेत आत्माओं से जुड़ी है।
मृगनयनी के अचानक गायब होने के बाद पुलिस की जांच बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई। हवेली में अजीब आवाजें सुनाई देने लगीं, जो प्रेत आत्मा के जागने का संकेत देती थीं। गांव के बच्चे रात में खिड़कियों के बाहर लाल चमकती आँखों वाली एक डरावनी सिल्हूट देखने लगे।
पुरानी मान्यताओं के अनुसार, मृगनयनी के गायब होने वाली रात को एक दुर्भाग्यपूर्ण ग्रहण हुआ था, जिसे काला जादू का वज्र कहा गया। कुछ लोगों का कहना था कि मृगनयनी ने शायद उसी काली किताब को छुआ, जिसने हवेली की प्रेतात्मा को जागृत किया।
इसी बीच, गांव में एक गुप्त समूह की गतिविधियां भी सामने आईं, जो हवेली के आसपास रात में मंत्रों का जाप करते पाए गए। ये मंत्र मौत और पुनर्जीवन से जुड़े थे, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि क्या सच में कोई काला जादू हुआ या यह सारी बातें केवल अंधविश्वास और अफवाहें थीं।
सारांश
मृगनयनी की रहस्यमय गायब होने की घटना ने छोटे गांव को गहरे अंधकार में धकेल दिया। पुरानी हवेली, काली किताब, काला जादू और अनसुलझे रहस्यों की परतें इस कहानी को और भी भयावह बना देती हैं। वर्षों बाद भी मृगनयनी की कोई वापसी नहीं हुई, और उसकी यादें गांव की डरावनी कहानियों का हिस्सा बन गई हैं। इस घटना के कई पहलू आज भी खुला सवाल बने हुए हैं कि क्या वह सचमुच प्रेतात्मा की गिरफ्त में है, या यह एक पन्ना है जो रहस्यों के बीच अधूरा रह गया।