
Summary: मध्य भारत के एक छोटे गाँव में एक युवक की रहस्यमय गायब होने की घटना और उसके पीछे छुपा काला जादू, हत्या और पुराने पंथों का भयंकर सच।
गांव में दफन राज़: जो लौट कर कभी नहीं आया
मध्य भारत के एक छोटे से गांव की धूल भरी गलियों में एक काले साये की तरह फैली थी एक रहस्यमयी गूँज, जिसकी तहें आज भी उजागर नहीं हो सकीं। यह वह कहानी है जो सुनने में जितनी साधारण लगती है, उतनी ही भयावह गहराइयों में डूबी हुई है। शर्मा गांव — जहाँ समय जैसे ठहर गया हो, और हर घर के दरवाज़े के पीछे कोई न कोई दफन राज़ छुपा हो।
गर्मी की तपिश के बीच, उस दोपहर जब धूप जोरों से झुलसा रही थी, गांव के हलवाई के बेटे, आदित्य, की अचानक हुई गायब होती वह दिनचर्या सब कुछ बदल गई। वो जो आंखों से ओझल हुआ, वो एक युवक था जिसे पूरा गांव जानता था, पर कौन जानता था कि उसका अपहरण काला जादू, पंथ और धोखे की ऐसी काली परतें खोल देगा कि यहां का हर व्यक्ति कांप उठेगा।
आदित्य के गायब होने के बाद, गांव में एक अजीब सी नीरवता छा गई। उसकी माँ की चीखें जब भी रात के सन्नाटे को चीरतीं, दीवारों पर कुछ रहस्यमयी चिन्ह चमकने लगते। लोगों के मुंह से निकलती बातें जैसे हवा में खो जातीं; कोई भी उस रहस्य की तह तक जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था।
शुरू हुई जांच — पर मशीनरी जैसे जमी हुई हो। आधिकारिक तौर पर आदित्य को एक अपहरण मामले में खोया बताया गया, पर गांव के बुजुर्गों का कहना था कि ये एक साधारण अपहरण नहीं था। यह तो एक भयावह जादुई रची-बसाई थी। काला जादू, जो सदियों से गांव के किनारों में बसे पौराणिक जंगलों में गुम था, अब फिर से सक्रिय हो चुका था।
दिन-ब-दिन, गांव के लोग अजीब और खौफनाक घटनाओं का अनुभव करने लगे — कहीं से सुनाई देती बीती हुई आवाज़ें, रात के अंधेरे में दरवाजे से टकराती परछाइयां, और मिट्टी से उभरते हुये अजीब से निशान। ऐसा लगा जैसे कोई छिपा हुआ साया हर कदम पर उनका पीछा कर रहा हो। फिर एक दिन, गांव के प्राचीन मंदिर के नीचे के तहखाने से एक पुरानी किताब मिली, जिस पर अजीबो-गरीब संकेत बना था। यह किताब उसे पठनीय करने की कोशिश में कईयों को पागलपन के कगार तक ले गई।
एक-एक कर, कुछ संदिग्ध आकृतियाँ सामने आने लगीं, जिनमें आदित्य के निकटतम लोग भी शामिल थे। लेकिन हर बार जब हकीकत की ओर बढ़ने की कोशिश होती, तो रहस्यमयी घटनाएं जांच-पड़ताल को रोक देतीं। गांव के बुजुर्गों की मानें तो, आदित्य की ग़ायब होना केवल उसकी जिंदगी का मामला नहीं था — बल्कि एक गहरे, काले जादू के जाल का हिस्सा था।
एक सूनसान रात, जब चाँद की हल्की रोशनी भी गांव की गलियों को चूम रही थी, उस पुराने मंदिर के पास एक और चीख गूंज उठी, और उसके बाद आदित्य जैसी कोई परछाई अमर रहस्य के साथ वापस कभी नहीं लौटी। गांव वालों का मानना है कि कभी-कभी अधूरा सच भी खतरनाक होता है, और वह जो लौट कर नहीं आया, उसका राज़ भी वहीं दफन हो गया।
प्रमुख प्रश्न
- क्या वाकई आदित्य किसी अलौकिक ताकत के शिकंजे में फंस गया था?
- क्या गांव में काला जादू अभी भी सक्रिय है?
- क्या वह हत्या की एक मासूम सनसनी थी, या कुछ ऐसा जो हमारी सामान्य समझ से परे था?
ये सारे सवाल जवाब के लिए इंतजार कर रहे हैं, पर कहीं न कहीं, उस गांव के धूल भरे रास्तों पर सन्नाटा ही सन्नाटा छाया हुआ है।
दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा।
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