
गांव में दफन राज़ एक रहस्यमय कहानी है जो उत्तर भारत के एक छोटे से गांव में घट रही घटनाओं पर आधारित है। राजा नाम का युवक अचानक घर से गायब हो जाता है, और उसकी गुमशुदगी पूरे गांव में भारी आशंका और भय पैदा कर देती है। प्राचीन हवेली और उस हवेली के तहखाने में मिली एक रहस्यमय किताब, जिस पर अजीब चित्र और अभिशाप की बातें लिखी हैं, इस कहानी के केंद्र में हैं।
गांव में घूम रही अफवाहें कहती हैं कि राजा ने उस किताब का रहस्य छेड़ दिया था, जिसके बाद उसकी अचानक गुमशुदगी ने इस मामले को और भी गुੰथा हुआ बना दिया। कई बार हवेली के आसपास अजीब सी आवाज़ें सुनी गईं, और पुलिस की जांच में भी रहस्य अभी तक अनसुलझा है। हवेली में पाए गए लैव्न रक्त के धब्बे और रात में वहां सुनाई देने वाली फुसफुसाहटें ग्रामीणों के विश्वास को काला जादू और प्राचीन पंथों की ओर ले जाती हैं।
गांव के बुजुर्गों ने कई अनुष्ठान करके शांति लाने का प्रयास किया, लेकिन वे प्रयास विफल रहे। एक पुराना दस्तावेज़, जिसमें राजा का नाम और चेतावनी लिखी थी, ने इस रहस्य को और भी गहरा कर दिया।
कहानी के मुख्य बिंदु:
- राजा की रहस्यमय गुमशुदगी – एक युवक का अचानक गायब होना।
- प्राचीन हवेली और किताब – जो रहस्य और अभिशाप का स्रोत मानी जाती है।
- काला जादू और पंथ – गांव के लोगों की मान्यताएँ और भय।
- पुलिस जांच और फुसफुसाहटें – अनसुलझी आवाज़ें और लाल रक्त के धब्बे।
- पुराने दस्तावेज़ की चेतावनी – “वह जो लौट कर नहीं आया” के साथ।
यह कहानी न सिर्फ एक रहस्य है, बल्कि उस अज्ञात भय और पौराणिक मिथकों का संगम भी है जो गांव की सामाजिक मानसिकता में गहराई से बसे हुए हैं। राजा की गुमशुदगी एक ऐसा घटनाक्रम है जिसने वैज्ञानिकों, पुलिस और गांव वालों को उलझन में डाल दिया है, जो सफ़ाया इस रहस्य से जूझते हुए अब तक नहीं हो पाया है।
संक्षेप में, यह कहानी एक ऐसे रहस्य का प्रतीक है जो उत्तर भारत के गाँव की पृष्ठभूमि में बुना गया है, जिसमें अंधकार, भय, विश्वास और प्राचीन पंथों का संगम देखने को मिलता है। यह कहानी पाठकों को उस अज्ञात साए को देखने के लिए आमंत्रित करती है जो आज भी उस हवेली के बीच फुसफुसाता है।