
नीलोफरपुर गाँव में एक रहस्यमय घटना ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया है। अजीत नाम का एक युवक अस्सी गई, जिसके गायब होने और काले जादू से जुड़ी मान्यताओं ने गाँव में अनहोनी परिस्थितियाँ पैदा कर दीं। यह कहानी एक अजीब बूढ़े व्यक्ति की उस किताब से शुरू होती है, जो अजीत को मिली थी और जिसके बाद गाँव में अजीब-गरीब घटनाएं सामने आने लगीं।
रहस्य और रहस्यमय घटनाएँ
अजीत के गायब हो जाने के बाद, गाँव में रात के समय अजीब आवाजें सुनी गईं और छायाओं में चमकती आँखें दिखाई दीं। पुराने मंदिरों और कब्रिस्तान के आस-पास असामान्य गतिविधियाँ देखी गईं, जैसे काले चोले में लिपटे लोग जिनकी आँखों में आग झलकती हो। स्थानीय पंचायत ने इन घटनाओं को दबाए रखा, मगर अधिकारी जांच में कई बार गहरी गुत्थियों में फंस गए।
काला जादू और पंथ
वह बूढ़ा समुद्री तट वाला व्यक्ति जिसने अजीत को काला जादू की किताब दी थी, माना जाता है कि वह एक साधु नहीं, बल्कि कोई शिकारी था। गाँव की बुजुर्ग महिलाएं ‘अंधकार की परछाई’ की कहानियाँ सुनाती हैं, जो आत्माओं या शक्तिशाली व्यक्तियों का प्रतीक हैं। अजीत का नाम और उस जंगल का नक्शा एक अधजली कागज पर मिला था, जहां से लौटना नामुमकिन बताया जाता है।
अज्ञात तक पहुँचना
कई साल बीत जाने के बाद भी अजीत की कोई जानकारी नहीं मिली। गाँव की हवेली में अब भी आधी रात के बाद मटमैली छाया निकलती है और एक गुमनाम आवाज़ पुकारती है, “आओ… वापस आओ।” ये संकेत इस डरावने रहस्य को और गहरा कर देते हैं।
सारांश
नीलोफरपुर गाँव का यह दफन राज़ एक गुमशुदा युवक, अजीत, की गायबगीरी से जुड़ा है, जिसे काले जादू और रहस्यमय शक्तियों ने अपने जाल में फंसा लिया। बूढ़े समुद्री तट वाले की दी किताब, पुरानी पंथिक मान्यताएँ, और अंधकार की परछाइयां इस कहानी को भयावह और रोमांचक बनाती हैं। आज भी गाँव में उस गुमनाम आवाज़ और मटमैली छाया का रहस्य लोगों के दिलों में डर और जिज्ञासा दोनों बनाए हुए है।
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