
Summary: यह कहानी एक छोटे गाँव में गायब हुए चिंतामणि की है, जिसमें काला जादू, रहस्यमय घटनाएं और अनसुलझे मर्डर की परतें जुड़ी हैं। चिंतामणि के अचानक लापता होने के बाद उसके घर में घट रही अजीब घटनाएं और एक पुरानी किताब से जुड़े रहस्य इस कहानी को और भी रहस्यमय बनाते हैं। क्या वह सच में मर चुका है या किसी दूसरी दुनिया में खो गया है, यह सवाल अभी अनसुलझा है।
गांव में दफन राज़: वो जो लौट कर नहीं आया…
सन्नाटे की चादर ताने उस छोटे से गाँव की गलियों में अचानक एक अजीब सी सिमटी हुई खौफनाक धुंध छा गई। जगह-जगह चर्चा होने लगी थी कि पिछले हफ्ते गायब हुए चिंतामणि का घर अब बन पड़ा है एक अनजानी रहस्यमयी हवेली। यह कहानी किसी काल्पनिक घटना से कम नहीं थी, पर सचाई का पर्दा उठाने की हिम्मत किसी में नहीं थी।
गांव के थोड़े बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि चिंतामणि, जो गाँव का एक साधारण लेकिन स्वभाव से चुप रहने वाला व्यक्ति था, अचानक एक रात अपने घर से लापता हो गया। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, घर के अंदर कोई संघर्ष के निशान नहीं मिले, लेकिन चिंतामणि की कमी गांव में एक अजीब तरह की बेचैनी छोड़ गई। धीरे-धीरे लोगों को उस घर के आस-पास अजीबोगरीब घटनाएं महसूस होने लगीं – दरवाज़े खुद-ब-खुद चरमराने लगे, दीवारों पर अस्पष्ट स्याही के दाग उभरने लगे, और रात के समय दूर-दूर तक रहस्यमय फुसफुसाहट सुनाई देने लगी।
कहते हैं कि गाँव की एक बुजुर्ग महिला ने बताया था कि चिंतामणि ने कुछ दिनों पहले एक भेदी अंधविश्वास और काला जादू से जुड़ी पुरानी किताब पा ली थी। इस किताब में ऐसे मंत्र और अनुष्ठान लिखे थे जो मानव जाति के छुपे हुए रहस्यों से भरे थे। गांव वाले शंका करते थे कि चिंतामणि ने उस किताब के माध्यम से किसी अज्ञात शक्ति को छेड़ दिया और वही शक्ति उसे लौट कर नहीं आने दे रही।
मैंने जो देखा, उसने मेरी हिम्मत को भी हिला कर रख दिया। वह तन्हा घर, जो अब किसी खूनी हवेली की तरह गूंजता था, मेरे कदमों के साथ ही धीमी सी कांप उठी। एक दिन मैंने उस घर के अंदर जाने का फैसला किया। हवा ठंडी थी और मटमैले बादलों ने पूरा आसमान घेर रखा था।
दरवाज़ा धीरे-धीरे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा। वहां मिली वह किताब। पुराने, पीले पन्नों पर रक्तस्छाया जैसे निशान। जैसे किसी के अंतिम संस्कार के फलक हों। किताब में एक अजीब भाषा में लिखा था — मंत्र, जो चेतना की परतों को खोलने का दावा करता था। मैंने झिझकते हुए पढ़ना शुरू किया, तभी अचानक मेरे कानों में फुसफुसाहट गूंजने लगी।
एक कदम आगे बढ़ा तो बाईं दीवार पर चित्र उभरने लगे – छायाओं का समंदर, जो चिंतामणि के भयावह अंत की कहानी ही कह रहे थे। उस समय मुझे एहसास हुआ कि यह सिर्फ एक साधारण गायब होना नहीं था, बल्कि एक गहरा, मनोवैज्ञानिक ताप और रहस्य था, जिसमें पंथ, काला जादू और मानव मस्तिष्क की गहराइयां समाई थीं।
कुछ गांववानों का मानना था कि चिंतामणि का शरीर कभी गांव के पास के जंगल में दफनाया गया; तस्वीरों में बने निशान भी इसी दिशा में संकेत देते थे। पर जंगल की गहराईयों में जब खोज की गई, तो वहां केवल पुरानी हड्डियां और धूल ही मिली। क्या चिंतामणि सच में मर चुका था? या फिर वह अब किसी दूसरी दुनिया में अस्तित्व रखता है, जहां से लौटना नामुमकिन था?
कहानी तो यहीं खत्म होती अगर असाधारण घटनाएं खत्म हो जातीं, पर गाँव के बच्चे कहते हैं कि कभी-कभी रात के अंधेरे में चिंतामणि की आवाज़ सुनाई देती है। एक आवाज़ जो अपना राज़ छुपाए हुए है, कोई संदेश देना चाहता है, या फिर चेतावनी? मुझे तो लगता है कि वह कहानी अभी पूरी नहीं हुई है। हर एक जवाब के पीछे एक नया सवाल छुपा है। सवाल जो हर गुजरती रात से ज्यादा डरावना होता जा रहा है।
क्या चिंतामणि सच में उस रहस्यमयी काला जादू के जाल में फंसा हुआ है? क्या वह कभी लौट कर आएगा? या फिर उसके साथ जो हुआ, वह गाँव के लिए एक सदा के लिए दफन किया गया राज़ है?
यह रहस्य अभी भी पन्नों और परदों के पीछे दबा हुआ है, और सिर्फ धुंधले संकेत ही मिलते हैं। कुछ कहते हैं कि अगर आप उस किताब को पढ़ने का साहस करें, तो आप भी खो जाएँगे उनमें — उन सारी परतों में जो सच को छुपाती हैं।
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