
धूप की आखिरी किरणें धीरे-धीरे छिप रही थीं, और गाँव की पुरानी गलियाँ एक अनचाहे सन्नाटे में डूब रही थीं। वो गाँव जहाँ आस्था और अंधविश्वास इतने गहरे से बुने गए थे कि हर एक पत्थर खुद एक कहानी सुनाता था। पर क्या आपने कभी सोचा है कि उस सन्नाटे के बीच एक ऐसी सच्चाई छिपी हो, जो आपकी रूह तक कंपा दे? यह कहानी है ‘गाँव में दफन राज़’ की, जो उस युवक की है जो लौट कर कभी नहीं आया।
साल था 2023 का आखिरी महीना। हिमाचल के एक छिपे हुए गाँव, जो लौकिक धूप से दूर, ठंडी हवाओं और प्राचीन परंपराओं की छाया में घिरा था। यह गाँव किसी मानचित्र पर दिखाई नहीं देता था, मानो खुद अपने अस्तित्व को छुपाये हुए। लेकिन उसी जगह पर, एक रहस्यमयी घटना ने पूरे इलाके को दहला दिया।
प्रवीन, गाँव का युवराज, था जो अपनी हँसती आँखों और सफेद आत्मा के लिए जाना जाता था। लेकिन अचानक, एक रात, जब पूरा गाँव किसी उत्सव में मग्न था, प्रवीन गायब हो गया। किसी ने उसे नहीं देखा, न ही उसके जाने का कोई कारण समझ पाया। बस, एक सूखा-सा निशान छोड़ गया वो जो लौटकर नहीं आया।
शुरुआत में लोगों ने सोचा कि प्रवीन कहीं दूर शहरी जीवन की चकाचौंध में खो गया होगा। पर जब दिन बीतते गए, और प्रवीन की कोई खबर नहीं आई, तो डर का एक कुहरा पूरे गाँव पर छा गया। बूढ़े तो कहते, “यह कोई सामान्य गायब होना नहीं, यह काला जादू है।” गाँव के सबसे अनुभवी बुजुर्ग ने धीरे से कहा, “जादू-टोना तो यहाँ का हिस्सा रहा है, और वे जो खो गए, उनका वापस आना मुश्किल है।”
प्रवीन के घर के बगल में एक पुरानी हवेली थी, जो वर्षों से बंद पड़ी थी। वहाँ से अजीब आवाज़ें आती थीं, रात को अजीब सी रोशनी चमकती, और बताते हैं कि हवेली की खिड़कियाँ कभी-कभार खुद ही चरमराने लगती थीं। पर क्या सच में उस हवेली में कोई परछाई छुपी थी, जिसने प्रवीन को अपने जाल में फंसा लिया?
स्थानीय पुलिस ने भी जांच की, लेकिन वहां कुछ भी असामान्य नहीं मिला। कोई संघर्ष का निशान नहीं, कोई हथियार नहीं। फिर भी, प्रवीन के कमरे की दीवार पर अजीबो-गरीब निशान थे, जो किसी प्राचीन भाषा जैसे लग रहे थे। गाँव के शिक्षक ने बताया कि यह शायद कोई भारी श्राप या पंथ का पीछा है, जो किसी की आत्मा को खोलने की कोशिश करता है।
दिन बीतते गए, और गाँव वालों के मनों में भय और संशय के बीच कहानी फैलने लगी कि प्रवीन ने हवेली में जाकर कुछ ऐसा देखा था, जो सामान्य मानव की समझ से परे था। कुछ लोगों ने कहा कि वे आत्माएँ जो हवेली के अंदर बसती थीं, उन्होंने उसे अपनी चपेट में ले लिया। हालांकि, प्रमाण के नाम पर केवल प्राकृतिक घटनाएं और रहस्यमयी संकेत ही थे।
गाँव के मंदिर में, जब पुजारी ने उस रात प्रवीन की याद में प्रार्थना की, तो हवा अचानक ठंडी हो गई, और एक झीनी सी फुसफुसाहट ने सबको काँपने पर मजबूर कर दिया। उस फुसफुसाहट में ऐसा लगा जैसे कोई नाम लेकर पुकार रहा हो: “प्रवीन… लौट आओ।“
क्या यह प्राचीन पंथ की कोई सजा थी? या प्रवीन ने सच में उस भयानक हवेली में काला जादू के रहस्यों को छेड़ दिया था? गांव की उरझी हुई ये कहानियाँ अब भी अपनी गहराई बढ़ा रही हैं, और हर रात जहाँ कोई सुकून से सो पाता है, वहीं कुछ लोग उस हवेली की तरफ सिहरन के साथ देखते हैं।
दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा। क्या कोई लौट रहा था? या बस कोई छाया फिर से अपने निवास स्थान पर लौट आई थी?
इस कहानी के कई पहलू आज भी गांव में हवा की तरह बह रहे हैं – खुले प्रश्न, बिना हल के संकेत और अधूरी कहानी। हो सकता है कि आज तक नदी के किनारे बहती वह खामोशी कुछ राज छुपाए हुए हो, जिसे सुनने वाला अभी बाकी है। ऐसे रहस्यों के पीछे, मनुष्य की जिज्ञासा और भय का मेल कभी खत्म नहीं हो पाता।
क्या प्रवीन सच में बहार लौट पाएगा? या वह भवन अपने अंधेरे में कोई और प्राणी छुपाये हुए है? यह सवाल गांव की धूल जैसे रहस्यों में गुम हो चुका है – जवाब का इंतजार करता।
सारांश
हिमाचल के एक सुनसान गाँव में एक युवक प्रवीन के रहस्यमय गायब होने की कहानी, जिसमें काला जादू और प्राचीन पंथ की आहट है। गाँव की रहस्यमयी हवेली और अनसुलझे संकेत इस कहानी को और भी रहस्यमय बनाते हैं। यह कहानी मनुष्य की जिज्ञासा और भय के बीच छिपे अंधकार को उजागर करती है।
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