
इस लेख में एक प्राचीन गांव की काली हवेली से जुड़े रहस्यमय और डरावने घटनाक्रम को सामने लाया गया है। कहानी 1997 के एक ठंडे शरद की शाम से शुरू होती है, जब हरिदास नाम का युवक गायब हो जाता है। हवेली को काला जादू और खून से जुड़े धब्बों की मान्यताओं के चलते ‘खूनी हवेली’ कहकर पुकारा जाता है। हरिदास के गायब होने के बाद के शोध में एक पुरानी किताब मिली, जिसमें भयंकर काले जादू के नुस्खे लिखे थे।
हवेली में अजीब-से घटनाएं जैसे चमकती छायाएं, अनजाने आवाजें, और काले मंदिर की भयावह तस्वीरें लोगों में ऐसा डर पैदा करती हैं कि वे वहां से दूर रहना पसंद करते हैं। हवेली के पुराने मालिक एक पंथ के नेता थे, जिनकी गतिविधियां काफी संदेहास्पद और डरावनी मानी जाती हैं। हरिदास के अंदर धीरे-धीरे अंधेरा जाग उठता है, और वह अपनी पहचाने से अलग होने लगता है।
गांव में इस रहस्य की पृष्ठभूमि में कई सारे सवाल उठते हैं – क्या हरिदास सचमुच गायब हो गया या वह हवेली की दीवारों में दफन हो गया है? क्या वह किताब वास्तव में काला जादू थी? और आखिरकार, वह किताब रहस्यमय तरीके से गुम कैसे हो गई? गांव के लोगों का जाना-माना कथानक है कि जो भी उस किताब को पढ़ता है उसकी आत्मा हवेली में कैद हो जाती है।
रहस्यमय घटनाओं की मुख्य बातें
- गायब होने की घटना: हरिदास का रहस्यमय ढंग से गायब होना।
- काला जादू: किताब में मिले गुप्त नुस्खे और प्रतीक।
- डरावनी हवेली: खून के धब्बे, जीवित अंधेरा और अजीब आवाज़ें।
- पंथ और आवाजें: पंथ के नेतृत्वकर्ता की संध्या पूजा के दौरान सुनाई देती हुड़कती चीखें।
- मिस्ट्री का खुलासा न होना: किताब का गायब होना और आगे बढ़ती गायबी की घटनाएं।
सारांश रूप में यह कहानी गांव की एक काली और रहस्यमय हवेली के इर्द-गिर्द घूमती है, जहां लोगों के गायब होने, काले जादू, तथा अंधकारमय रहस्यों ने उस स्थान को भय, सस्पेंस और अनसुलझे प्रश्नों के घेरे में बाँध दिया है। लेख अंततः सवाल छोड़ जाता है कि क्या यह घटना काला जादू की साज़िश थी या सामूहिक भ्रम।