
धुंधली रोशनी में लिपटा वह पुराना गांव, जहाँ पर हर रात अनजानी आवाज़ें कानों में सुसूमा जाती थीं। कभी उत्सव-ध्वनि गूंजती थी, तो कहीं से कानफाड़ू चीखें भी सुनाई देती थीं। इसी गांव में एक ऐसा घटना घटित हुई जिसने उसकी धड़कनें सदियों तक थमाने का खतरा पैदा कर दिया। यह कहानी है अर्जुन की, वह अकेला युवक जो अपने ही गांव से गायब हो गया – बिना किसी सुस्पष्ट कारण के, जैसे हवा में घुला कोई भँवर।
फरवरी की ठंडी रात थी जब आखिरी बार अर्जुन को देखा गया था। गांव वाले कहते हैं कि उसकी आँखों में कोई अजीब सा साया था, जिसे समझ पाना किसी के बूता से बाहर था। कुछ लोग तो मानते हैं कि उसके गायब होने के पीछे पंथ और काला जादू का हाथ है, जो दशक पुरानी उस वीराने हवेली से जुड़ी हुई है, जहाँ आज भी पिछले सयों की गूँज सुनाई देती है। उधर, अर्जुन की माँ रोज़ उसके लिए पूजा करती, लेकिन उसकी दबी हुई आवाज़ों के बीच कोई परछाई भी क्यों नज़र नहीं आती थी।
वह हवेली, गाँव के सबसे खतरनाक स्थान के रूप में जानी जाती थी। कहते हैं, वहाँ रात में अजीब-सी लपटें उठती हैं, और पुरानी दीवारों पर लिखे संकेत अचानक चमक उठते हैं। एक पुरानी किताब मिली थी हवेली के तहखाने में, जिस पर काले रंग की स्याही से कुछ ऐसे अक्षर थे जिनका अर्थ कोई नहीं समझ पाया। अर्जुन ने उसी किताब के बारे में पूछताछ शुरू की थी, और तभी से वह एक-एक कर गायब होने लगा।
गाँव के बुजुर्ग उसे चेतावनी देते रहे, “जो उस किताब को पढ़ता है, वो अपने अस्तित्व से लड़ता है।” लेकिन अर्जुन की जिज्ञासा ने उसे पीछे हटने नहीं दिया। धीरे-धीरे, गांव में ऐसी अफवाहें फैलने लगीं कि अर्जुन को काला जादू ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है, और वह अब किसी दूसरी दुनिया का हिस्सा बन चुका है।
रात के उस सन्नाटे में, जब हवेली के दरवाज़े चरमराते थे, और चाँद की किरणें पेड़ों के पत्तों से टकराकर डरावनी परछाइयाँ बनाती थीं, तब गांव के कुछ बच्चे औरतों की सिसकियों की आवाजें सुनते थे। कहीं न कहीं एक खौफनाक सच दबा था – जो खुलने को बेकरार था।
क्या अर्जुन सचमुच गायब हो गया, या वह अब भी उसी हवेली की अधजली दीवारों के पीछे एक अंतःकरण की चीख है? क्या यह काला जादू सिर्फ एक कहानी है, या वास्तव में उस पुराने रहस्यमय पंथ के अवशेष आज भी सांस ले रहे हैं?
यह सवाल आज भी गांव की हवाओं में गूंजते हैं, और हर किसी के मन में डर और जिज्ञासा दोनों को जगाते हैं। जब आखिरी दिनों में गांव के लोग हवेली की तरफ देखते हैं, तो उनमें एक अनजाना सा साया झलकता है – जो खुद किसी की समझ में नहीं आता।
दरवाज़ा धीरे-धीरे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा।
सारांश
यह कहानी एक छोटे से गांव में अचानक गायब होने वाले युवक, अर्जुन, और उसकी जुड़ी हुई पुरानी हवेली के रहस्य को उजागर करती है। वहां काला जादू और खोई हुई परछाइयों का भूतिया साया नजर आता है। गांव वाले आशंका जताते हैं कि अर्जुन की गुमशी की वजह पुरानी किताब और काला जादू से संबंधित है, जो उस हवेली के तहखाने में मिली थी। कहानी डर और जिज्ञासा के मिश्रण में बुनी गई है, जो गांव की हवाओं में आज भी गूंजती हैं।