
Summary: बंगाल के एक छोटे गांव की पुरानी हवेली में आदित्य नामक युवक के रहस्यमय गायब होने की कहानी दर्शाती है कि कैसे काला जादू, अजीब साये और एक गुप्त तहखाना इस घटना के पीछे छुपे हैं। यह घटना गांव की परंपराओं और भय की गहराईयों में गुम है, जो अब भी लोगों के मन में डर और सवाल छोड़ती है।
गांव की काली छाया
2023 में रानीपाड़ा गांव की धूल भरी गलियों में एक अंधेरा सच छुपा था। उस रात को गांव के बुजुर्ग ‘काली छाया’ कहते हैं, जब एक युवक आदित्य अचानक गायब हो गया। आदित्य गांव का भरोसेमंद युवा था, जो पुरानी हवेली के पास कुछ तलाशने निकला था।
खूनी हवेली और रहस्यमय घटनाएँ
वह हवेली जिसे लोग ‘खूनी हवेली’ कहते हैं, वर्षों से अजीब आवाज़ें और घटनाएं सामने आ रही थीं। उस दिन हवेली की खिड़कियां चरमरा उठीं, और अफवाहें फैलने लगीं कि आदित्य ने काला जादू की पुरानी किताब देखी थी जो इसी हवेली में दफन थी। वहीं आधा मानव और आधा छाया का प्राणी भी बताया गया, जो लोगों को गायब कर देता है।
गायब होने के आस-पास के हालात
पुलिस तक हवेली के अंदर जाने से डरती थी। गांव का माहौल तनावपूर्ण था और कई रातें असामान्य घटनाओं से भरी हुई थीं। आदित्य की बहन ने सफ़ेद धुंध के बीच एक युवक को देखा, जिसने कहा “मुझे खोजो…” और वह गायब हो गया।
गुप्त तहखाना और पुराने रहस्य
अंततः एक बुजुर्ग ने बताया कि हवेली में एक गुप्त तहखाना है जहां अजीब आवाजें आती हैं। वहाँ कई वर्षों में अन्य लोग भी गायब हो चुके हैं। तहखाने की दीवारें आज भी रहस्य की कहानी कहती हैं।
क्या सच है और क्या नहीं?
आदित्य के गायब होने की घटना ने एक गहरा डर और सवाल गांव में छोड़ दिया कि क्या वह काल सच में काले जादू के रहस्यों का हिस्सा था या फिर वह साया जो हवेली के पास नजर आता है, वही उसका नया रूप है। यह सवाल गांव वालों के लिए एक चेतावनी भी बन चुका है कि कुछ राज़ दफन रहना ही बेहतर होता है।
निष्कर्ष
यह कहानी एक ऐसी दास्तां है जो गांव की आत्मा में गहराई तक हावी है, जिसमें परंपरा, भय, और रहस्य एक साथ बुने हुए हैं। हवेली का दरवाज़ा अभी भी चरमरा रहा है और उस सन्नाटे में कहीं एक अनकहानी छुपी हुई है।