चंडीगढ़ में नाबालिग अपराधियों के व्यवहार में हाल के वर्षों में एक गंभीर बदलाव देखा गया है। पहले ये बच्चे छोटे-छोटे चोरी जैसे मामूली अपराधों में फंसे रहते थे, लेकिन अब हत्या, बलात्कार, लूट, और दंगों जैसे गंभीर अपराधों में उनकी संख्या बढ़ रही है। पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि 2020 से अप्रैल 2025 तक 64 नाबालिगों को हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, जिसमें 2024 और 2025 के शुरुआती महीनों में मामलों की संख्या चिंताजनक रूप से अधिक है।
नाबालिग अपराधियों में बदलाव के कारण
इस बदलाव के पीछे कई कारक हैं, जो इस प्रकार हैं:
- हिंसा और हथियारों का उपयोग: अब अपराध में चाकू और लोहे की रॉड जैसे हथियारों का इस्तेमाल हो रहा है, जो पहले नहीं देखा गया था।
- गैंग कलह और बदला: ये अपराध अक्सर गैंग विवाद और स्थानीय झगड़ों से जुड़े होते हैं।
- गरीबी और घरेलू अस्थिरता: अधिकांश अपराधी 16-18 वर्ष के गरीब परिवारों से आते हैं, जो घर की निगरानी के अभाव और आर्थिक कठिनाइयों के कारण अपराध की ओर बढ़ते हैं।
- स्कूल छोड़ना और अनौपचारिक रोजगार: ये बच्चे स्कूल छोड़कर मेकैनिक की दुकान या चाय की ठेली जैसे काम करने लगते हैं, जिससे उनका अपराध की ओर झुकाव बढ़ता है।
- स्थानीय गैंग्स का प्रभाव: गैंग्स स्थानीय युवाओं को तेज़ पैसा और सामाजिक मान्यता का लालच देकर शामिल करते हैं।
नाबालिग न्याय प्रणाली की भूमिका
नाबालिग न्याय प्रणाली के तहत, नाबालिगों को केवल अधिकतम तीन साल की सजा मिलती है, जिससे वे जल्दी रिहा होकर पुनः अपराध में लिप्त हो जाते हैं। इससे एक दुष्चक्र बनता है जो अपराधी युवाओं को रोक पाना मुश्किल कर देता है।
पुलिस की योजना और समाधान
इस समस्या से निपटने के लिए पुलिस ने हर थाने में एक मेंटर नियुक्त करने की योजना बनाई है, जो नाबालिग अपराधियों को सही मार्गदर्शन प्रदान करेगा और उन्हें पुनः अपराध की ओर जाने से रोकेगा।
समाज के लिए खतरा
यह स्थिति दर्शाती है कि समाज के कमजोर वर्गों के बच्चे किस प्रकार अपराध की गहरी खाई में फंस रहे हैं और किस तरह कानून की नरमी का फायदा उठा कर अपराधी लोग उनका शोषण कर रहे हैं। अभी यह देखना बाकी है कि क्या चंडीगढ़ पुलिस इस बढ़ती समस्या को नियंत्रित कर पाएगी या नहीं।
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