
दिल्ली में ‘उदयपुर फाइल्स’ विवाद को लेकर सेंसर बोर्ड (CBFC) ने कोर्ट में अपनी तरफ से पूरी खुलासे की। CBFC ने स्पष्ट किया कि उन्होंने फिल्म के कंटेंट को लेकर किसी भी प्रकार की सेंसरशिप या रोक-टोक नहीं लगाई है। कोर्ट में जमा की गई दस्तावेजों और सबूतों के माध्यम से, CBFC ने यह साबित करने की कोशिश की कि उनका काम केवल फिल्म की तकनीकी और व्यावसायिक मानकों के अनुसार किया गया है।
CBFC ने यह भी कहा कि फिल्म के किसी भी हिस्से को लेकर कोई राजनीतिक या सांस्कृतिक विवाद उनके निर्णय का आधार नहीं था। उनकी भूमिका केवल राष्ट्रीय फिल्म नीति के अनुरूप फिल्म को प्रमाणित करने की है। इस खुलासे के बाद कोर्ट ने मामले को विचार के लिए अधिक समय दिया है।
मुख्य बिंदु:
- CBFC ने कोर्ट में साफ किया: ‘उदयपुर फाइल्स’ पर कोई सेंसरशिप नहीं लगाई गई।
- प्रदर्शनी से जुड़ी तकनीकी जांच: CBFC ने फिल्म की जांच मात्र तकनीकी दृष्टिकोण से की।
- राजनीतिक विवाद से अलग: कोई भी निर्णय राजनीतिक दबाव के आधार पर नहीं लिया गया।
- कोर्ट का निर्णय: मामले की सुनवाई जारी है और अतिरिक्त समय दिया गया है।
यह मामला देश में सेंसरशिप और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच के तनाव को उजागर करता है। फिल्म निर्माताओं और सेंसर बोर्ड के बीच इस विवाद की गहराई आगे की कानूनी प्रक्रियाओं में सामने आएगी।