
दिल्ली के लोगों में हॉरर और क्राइम मूवीज का क्रेज दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। मनोविज्ञान के अनुसार, ऐसे फिल्मों को देखने के कई कारण होते हैं:
- ये मूवीज हमें रोमांच का अहसास कराती हैं और हमारी भावनाओं को जगाती हैं।
- डरावनी और रहस्यमय कहानियां दिमाग को एक्टिव रखती हैं।
- हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के तनाव से कुछ वक्त के लिए दूर हो जाते हैं।
- इंसानी मन की गहराई और अपराध की मनोदशाओं को समझा जा सकता है।
- अंदर साहस और डर के बीच के संतुलन को परखती हैं।
- सामाजिक और नैतिक सवालों को भी उठाती हैं।
- डर का सामना करने से दिमाग में एंडोर्फिन रिलीज होती है जो खुशी देती है।
- अक्सर असाधारण कहानियां बताती हैं जो दर्शकों को आकर्षित करती हैं।
- इन फिल्मों का आनंद लेना एक सामाजिक क्रिया भी हो सकता है, जिससे दोस्त और परिवार जुड़े रहते हैं।
इन सब कारणों से हॉरर और क्राइम मूवीज का आकर्षण बना रहता है।