
भारत में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर 2012 में दिल्ली में हुए नीरभया कांड के बाद भी ज़मीन पर बहुत कम बदलाव दिखाई देते हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ते जा रहे हैं, जिसमें रेप, छेड़छाड़ और अन्य हिंसक घटनाएं शामिल हैं।
महिला सुरक्षा के लिए कानून तो सख्त बनाए गए हैं, लेकिन उनका सही क्रियान्वयन अभी भी एक चुनौती बना हुआ है। पुलिस तंत्र और प्रशासनिक ढांचा अब भी महिलाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम नहीं हो पाया है।
सामाजिक दृष्टिकोण में भी बदलाव की ज़रूरत है, क्योंकि महिलाओं पर हो रहे अपराध का एक बड़ा कारण समाज में व्याप्त असमानता और पूर्वाग्रह है।
महिला सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम
- व्यापक जागरूकता अभियान चलाना।
- कड़े कानून बनाना और उनका प्रभावी क्रियान्वयन।
- महिलाओं को आत्मरक्षा के तरीकों और अपने अधिकारों की जानकारी देना।
- पुलिस और प्रशासनिक तंत्र को सशक्त बनाना।
- सामाजिक असमानताओं और पूर्वाग्रहों को कम करना।
ऐसे हालात में जहाँ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं, वहाँ महिला सुरक्षा के मुद्दे पर तत्काल और प्रभावी कदम उठाना बेहद आवश्यक है। महिलाएं अब सुरक्षित आश्रय ढूंढने में भी असमर्थ हो रही हैं, जो कि एक बड़ा चिंता का विषय है।