
दिल्ली के प्रसिद्ध शोधकर्ता कैथरीन डी. कोडुटो ने एक महत्वपूर्ण अध्ययन किया है जो यह बताता है कि सच्चे अपराधों की कहानियों से खुद को अलग न कर पाने का मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है। उनके शोध के अनुसार, ऐसे अपराधों से जुड़ी खबरें, पॉडकास्ट और डॉक्यूमेंट्री देखने से दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।
शोध के मुख्य निष्कर्ष
- लगातार अपराध की घटनाओं का सेवन चिंता, तनाव और नींद की समस्याओं को जन्म दे सकता है।
- सोशल मीडिया पर सच्चे अपराध की जानकारी तेजी से फैलती है, जो मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
- बार-बार अपराध की घटनाओं को देखने से दिमाग में भय और असुरक्षा की भावना भर जाती है, जिससे भावनात्मक स्थिति कमजोर हो जाती है।
- यह प्रभाव विशेष रूप से उन लोगों के लिए अधिक गंभीर हो सकता है जिनका मानसिक स्वास्थ्य पहले से कमजोर है।
शोध में दिए गए सुझाव
- सच्चे अपराध की कहानियों का पीछा करते समय संतुलन बनाना आवश्यक है।
- इस प्रकार की जानकारी का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।
- मानसिक स्वास्थ्य को हमेशा प्राथमिकता देनी चाहिए।
- अगर ज़रूरत पड़े तो पेशेवर मदद लेने में हिचकिचाना नहीं चाहिए।