
Summary: एक गाँव में एक युवक अनिल की रहस्यमयी गायब होने की घटना ने पूरे इलाके में डर और अंधविश्वास की लकीर खींच दी। हवेली, जिसमें काला जादू और पंथ के गुप्त राज़ छिपे हुए हैं, की दीवारें उन अजीब गतिविधियों और रहस्यों की गवाह बनीं। अनिल की गायब होने की रात के गुप्त मिलन और फुसफुसाते हुए सन्नाटे ने इस कहानी को और भी जटिल बना दिया है। अनसुलझा रहस्य आज भी एक साया बनकर गाँव पर मंडरा रहा है।
गायब होने की रात
गर्मियों की घुप्प अंधेरी रात में उस पुराने गाँव के किनारे बनी हवेली ने अपनी चुप्पी से कई सवाल उभरने दिए। आठ साल पहले अनिल, जो साधारण किसान का बेटा था, अचानक गायब हो गया। आखिरी बार उसे हवेली के पास देखा गया था, लेकिन अगली सुबह केवल उसके जूते और धूल के निशान मिले। गाँववालों का कहना था कि उस रात हवेली के ऊपरी कमरे से अजीब सी चमक निकली थी।
हवेली का काला रहस्य
गाँव के बुजुर्ग मानते हैं कि हवेली में काला जादू की पूजा होती है और वह पंथ की आश्रयभूमि है। दीवारों पर उभरने वाले अजीब चिह्न पौराणिक और काला जादू से जुड़े प्रतीक थे। अफवाहें थीं कि वहाँ के ‘रहस्यमय पंथ’ के सदस्य अनिल को अगवा कर चुके हैं।
जाँच और रहस्य
इंस्पेक्टर रघु ने हवेली की खोज में पाया कि वहाँ कोई जीवित नहीं था, लेकिन एक महिला की पुरानी चिट्ठी बरामद हुई, जिसमें काले कर्म का उल्लेख था और एक अनजाना संकेत था। इस खोज ने मामला और पेचिदा कर दिया।
गुप्त मिलन और विवाद
गवाही मिली कि गायब होने की रात हवेली में एक गुप्त सभा हुई थी, जिसमें कई संदिग्ध व्यक्ति शामिल थे। ये लोग सत्ता और धोखे के जाल में उलझे हुए थे, जिससे अनिल की असली स्थिति और भी धुंधली हो गई।
अंतिम अपील
अनिल की बहन संतोषी ने कहा, “जो लौट कर नहीं आया, उसके पीछे इस गाँव की मिट्टी से जुड़ा बड़ा रहस्य है।” यह कहानी आज भी रहस्यमयी साये की तरह गाँव पर मंडरा रही है, जिसके जवाब अब भी खोजे जा रहे हैं।
निष्कर्ष
यह कहानी काले जादू, पंथ और दफन रहस्यों का संगम है। अनिल की रहस्यमयी गायब होने की घटना एक ऐसा सवाल है जिसे इतिहास और काल के सन्नाटे में कुछ समय के लिए दफन कर दिया गया है। हवेली की दीवारें अभी भी उस पत्ते का इंतजार कर रही हैं जो सच्चाई का पर्दा उठाए।