
SUMMARY: बिहारीपुर गांव में एक युवक का रहस्यमय गायब होना और एक प्राचीन किताब से जुड़ी अलौकिक घटनाएं, जो काले जादू और अप्राप्य रहस्यों से भरी हैं।
गायब हुई रात की अनकही कहानी
एक सर्द रात थी जब गांव के किनारे घाट के पास से एक अजीब सी हवा बह रही थी। वहां से गुजरते हुए लोगों की नजरें अक्सर उस पुराने पेड़ पर टिक जाती थीं, जिसके नीचे अचानक एक युवक गायब हो गया था। इस घटना ने पूरे गांव में एक खौफनाक साया फैला दिया था।
गांव का नाम था बिहारीपुर, जहां लोग दिनभर खेतों में काम करते, मगर रात को सब अपने घरों को जल्दी बंद कर लेते। मगर किसी को यकीन नहीं था कि एक फूल-सा युवक, आरव, जो गांव के सबसे अच्छे लड़कों में से था, हफ्तों तक लापता रहेगा।
आरव की आखिरी नजरें उस पेड़ की ओर थीं, जहां अक्सर वह बैठा करता था। पर उस रात, उसने जो कुछ देखा, उसने उसकी आत्मा को झकझोर दिया। कहा जाता है कि उस पेड़ के नीचे एक पुरानी किताब दफन थी, जिसकी कहानियां गांव में कई दशकों से छिपी थीं। लोग कहते हैं कि वह किताब काला जादू से भरी है, और जिसे वह खुले में छूता है, उसका नसीब बदल जाता है।
उस रात आरव ने किताब को पाया, और उसे छुआ। तभी हवा बदल गई, पेड़ की पत्तियां सरसराने लगीं, और धरती से गहरी आवाजें आने लगीं। अगले दिन सुबह, आरव का कोई पता नहीं था। उसके कपड़े वहीं पेड़ के नीचे पड़े मिले, जैसे वह कहीं अचानक गायब हो गया हो।
गांव वाले उसे खोजते रहे, मगर किसी भी सुराग के बिना वह गुमशुदा ही रहा। धीरे-धीरे, गांव में अफवाहें फैलने लगीं कि आरव को काला जादू पकड़ ले गया है। कुछ तो कहते थे कि उसने उस किताब में छुपे पंथ के दुष्ट राक्षसों को जगा दिया था।
रात के सन्नाटे में कभी-कभी गंगा के किनारे से सिसकियों जैसी आवाजें आती हैं, और गांव वाले उस पेड़ के पास जाने से डरते हैं। कुछ ने बताया कि उन्होंने वहां एक धुंधली छाया देखी, जो हवा में तैरती हुई गायब हो जाती थी।
जांच के लिए आए पुलिस अधिकारियों ने उस जगह को बड़ा किया, पर रहस्यमय कारणों की वजह से वहां मिली कोई ठोस जानकारी नहीं मिली। पेड़ के तले दफन उस किताब के पन्नों के बीच कहीं कुछ संकेत थे, जिन्हें पढ़ पाना काल्पनिक लग रहा था।
क्या वह किताब सच में काला जादू से भरी थी? या आरव के गायब होने के पीछे कोई और मनुष्यता है जो अभी छुपी हुई रह गई? गांव की आखिरी बस्ती में आज भी वही पेड़ खड़ा है, उसकी छाया में एक अनजानी पुरानी कहानी दबे हुए है।
दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा। क्या कोई आज भी उस रात के रहस्य को खोलेगा या वह कहानी सदैव धुंध में रह जाएगी?
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