
Summary: एक छोटे गांव की पुरानी हवेली में छुपे काले जादू और रहस्यों ने एक युवक की जिंदगी को घेर लिया, जिसके बाद वह लौट कर नहीं आया।
वो जो लौट कर नहीं आया
धुंध की परत ने जैसे हर उस एहसास को छुपा दिया था जो उस छोटे से गांव को घेरे हुए था। यहां, घने जंगल की छाया और पुरानी हवेलियों के बीच एक अजीब सी खामोशी फैली हुई थी, जिसे सुनने की हिम्मत शायद ही कोई करता। लेकिन उस खामोशी के भीतर छुपा था एक ऐसा रहस्य जिसे जानना गांव के हर व्यक्ति के लिए खतरे से कम नहीं था।
2019 की ठंडी शाम थी, जब एक युवक, जिसका नाम अर्जुन था, अचानक गांव से गायब हो गया। अर्जुन, जो हमेशा से ही अपने अलग-थलग स्वभाव और पुराने काले जादू से जुड़ी कहानियों में रूचि रखता था, अपनी गायब होने से पहले कई बार गांव की पुरानी हवेली के पास देखा गया था—जहां उस वक़्त से जुड़ी कई अंधविश्वास और पंथों की कहानियां ज़ुबान पर थीं।
हवेली, जिसकी दीवारों पर जंग लगी शिकनें और टूटी फूटी खिड़कियों से झांकते अंधेरे कमरे सदियों पुरानी दास्तानें सुनाते थे, मानो खुद में जीवित जादू समेटे हुए हो। अर्जुन की आखिरी झलक उस हवेली की बिखरी हुई छत के नीचे मिली थी, जहां एक पुरानी, धूल भरी किताब भी पाई गई, जिसकी किसी ने अब तक व्याख्या नहीं की थी।
घटना की तह तक जाने पर ग्रामीणों के बीच हलचल मची; कुछ लोगों ने कहानियां सुनाई कि हवेली के भीतर काला जादू और प्रेतात्माओं का वास है, जो किसी भी अनजान को लौटने नहीं देंगे। अर्जुन की गुमशुदगी ने इस बाबत अजीब-सी अफवाहों का जन्म दिया, जिनमें से कई अलौकिक शक्तियों का इशारा करती थीं। लेकिन असली बात क्या थी? क्या अर्जुन सचमुच में उन रहस्यों को जानना चाहता था, या फिर कुछ और ही था छुपा हुआ?
जैसे-जैसे पुलिस ने जांच तेज की, गांव के कुछ लोग संदिग्ध गतिविधियों का जिक्र करने लगे—रात के वक्त हवेली से अजीबो-गरीब रोशनी और अनजान आवाजें सुनाई देना, तथा पूरे इलाके में शरारती चीज़ें गायब होना। जांचकर्ताओं ने भी हवेली की तहखाने में कुछ ऐसे चिन्ह खोजे, जिन्हें स्थानीय अनजाने पंथ के प्रतीक माना गया।
धीरे-धीरे सच्चाई का पर्दाफाश होने लगा, लेकिन जैसे ही कोई सुराग मिलना शुरू हुआ, वे भी एक-एक कर बुझने लगे। किताब के पन्नों पर छुपे चारकोल के निशान, अस्पष्ट चित्र और अल्टेरनेटेड लिपि — जो किसी प्राचीन अनुष्ठान का हिस्सा लग रही थी। पता चला कि अर्जुन ने खुद को इस गुप्त ज्ञान में डुबो दिया था, लेकिन कहीं न कहीं उसकी खोज उसे अंधेरे में गाड़ चुकी थी।
दिन बीते, महीने बीते, पर अर्जुन का कोई पता न चला। गांव वालों का विश्वास टूटा, और हवेली के सामने का रास्ता सूनी हो गया। पर एक चीज़ स्पष्ट थी—अर्जुन की कहानी उस रहस्य की तलाशी में खो गई थी जो उस हवेली की दीवारों में दबी हुई थी।
आज भी, जब सूरज डूबता है और खोल के पत्ते सरसराते हैं, तब हवेली से आरम्भ होती है वह कहानी, जिसे सुनने वाले की हिम्मत पर प्रश्न चिह्न लग जाता है। क्या अर्जुन सचमुच वापस कभी आएगा? या वह उस काले जादू की गिरफ्त में हमेशा के लिए घटा हो गया?
दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा।
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