
Summary: एक छोटे से गांव भोरा में रमेश नामक युवक के अचानक गायब होने की कहानी, जिसके पीछे छुपा है काला जादू और अनसुलझा रहस्य। गायब होने के बाद गांव में अजीब घटनाएं होती हैं, और गांव वालों की जिंदगी डर और रहस्य की गिरफ्त में आ जाती है। लेखक ने उस रहस्य को समझने की कोशिश की, पर राज़ अधूरा ही रह गया।
गांव का रहस्यमय माहौल
भोरा गांव के लोग साधारण जीवन जीते थे, लेकिन उनकी आँखों में एक अजीब सा डर छाया रहता था जो रमेश के गायब होने के बाद और गहरा गया। रमेश की अचानक गायब होने ने पूरे गांव को एक अनजान साये में ला दिया, जिससे गाँव के लोगों का मनोबल टूट गया।
रमेश का रहस्यमय गायब होना
रमेश अपने खेत से लौटते समय गाँव के किनारे स्थित पेड़ के नीचे खून से सना पुराना पन्ना देखता है, जिस पर काले जादू और पंथ के मंत्र लिखे होते थे। उस पन्ने को छूते ही एक अज्ञात शक्ति ने उसे अपनी गिरफ्त में ले लिया और वह गायब हो गया।
गांव में अजीब घटनाएं
रमेश के गायब होने के बाद:
- दरवाजे अपने आप खुलते थे।
- रातों में अजीब आवाजें सुनाई देती थीं।
- कुछ बच्चे और लोग भी गायब हो गए।
- बूढ़े बीमार पड़ने लगे।
- लोगों के चेहरे पर भय के निशान उभरने लगे।
पूरे गांव में एक काले जादू की छाया फैल गई थी।
लेखक की खोज
लेखक ने रमेश के आखिरी देखे गए स्थान पर ठहरकर वहां एक धुंधली आकृति देखी, जो शायद रमेश था। अगले दिन मुखिया से पूछे गये सवालों के जवाब में पता चला कि रमेश ने एक पुस्तक खोली थी जिसमें काले जादू के मंत्र थे, जो गांव के साये को गहरा कर रहा था।
पुराने मंदिर का तहखाना और दस्तावेज़
जैसे-जैसे जांच बढ़ी, गांव के पुराने मंदिर के तहखाने में संस्कृत में लिखे काले जादू के मंत्रों वाला एक पन्ना मिला। ये सवाल उठता है कि क्या ये दस्तावेज रमेश की आत्मा को बांध रहा था या कोई और खतरनाक राज छुपा था।
कहानी का खुलासा और अंत
रमेश के वापस आने या रहस्य के खुलने की कोई पुष्टि नहीं हुई। गांव के लोग अब भी डर के माहौल में जी रहे हैं और वह कहानी लेखक की नींद हराम कर रही है। गांव में दफन राज़ शायद सदियों तक अनसुलझा ही रहेगा।
निष्कर्ष: यह कहानी एक रहस्यमय और अंधकारमय अनुभव को पेश करती है जहाँ काला जादू, गायबियां और मनोवैज्ञानिक भय एक छोटे से गांव की सामाजिक संरचना को प्रभावित करते हैं। यह दर्शाती है कि कुछ राज़ कभी नहीं खुलते और उनका असर पीढ़ियों तक बना रहता है।