
दहसनपुर गाँव में कृष्णा की अचानक गुमशुदगी ने पूरे इलाके को एक रहस्यमय घटना में बदल दिया। इस घटना के पीछे छुपे काले जादू और पुरानी मान्यताओं ने गाँववालों के दिलों को डर से भर दिया।
कृष्णा का रहस्यमय गायब होना
कृष्णा, जो गाँव के मंदिर में गहरी आस्था रखता था, एक दिन अचानक जंगल की तरफ गया और वापस नहीं लौटा। उस दिन हवा में एक अजीब शोर था, जैसे कोई अधूरा संगीत, जो कुछ खास लोग ही सुन पाते थे। परंतु वापस लौटने की बजाय, वह रहस्यमय तरीके से गायब हो गया।
गाँव में फैली अजीब घटनाएं
- रात में मंदिर के पास से अनचाही सुगंध आना।
- मंदिर की घंटियों की आवाज़ सुनाई देना, पर वहाँ कोई न होना।
- पुरानी हवेली की खिड़कियों का डर से कांपना।
काला जादू और प्राचीन ग्रंथ
कुछ लोगों का कहना था कि कृष्णा ने जंगल में एक पुराने पंथ की किताब छुई, जिसमें “आत्मा की कीमत” लिखा था। इसके पढ़ने के बाद मंदिर के सामने अजीब घटनाएँ होने लगीं। हवेली की दीवारों पर खून के निशान और तांत्रिक चित्र आदि दिखाई देने लगे।
युवाओं की खोज और पुलिस की जांच
गाँव के युवाओं ने हवेली में जाकर उस अदृश्य भय का सामना किया, जहाँ दरवाज़ा चरमराया और सन्नाटा छा गया। पुलिस ने मामला दर्ज किया, पर कोई प्रमाण नहीं मिला।
स्थानीय मान्यताएँ और वर्तमान असर
स्थानीय लोग मानते हैं कि कृष्णा की आत्मा अभी भी हवेली में भटकती है और हर पूर्णिमा की रात उसकी आवाज़ सुनाई देती है। वह आवाज दर्द और गुहार से भरी होती है।
रहस्य अभी अनसुलझा है: क्या कृष्णा सच में गायब हो गया है, या कोई रहस्यमय शक्ति उसे अपने कब्ज़े में ले गई? ये सवाल अभी भी गाँव में गूंज रहे हैं और पुरानी किताब के पन्नों या हवेली की दीवारों में छुपे हो सकते हैं।
सारांश
दहसनपुर गाँव में कृष्णा की गुमशुदगी एक काले जादू और पुराने रहस्यों से जुड़ी रहस्यमय घटना है। अजब-अजीब घटनाओं ने गाँव की हवा को डर से भर दिया है और गाँव की पुरानी हवेली को एक भयानक जगह बना दिया है। लोककथाओं और प्राचीन मान्यताओं के बीच यह कहानी अभी भी अपनी अनसुलझी गुत्थी लिए खड़ी है।