Summary: एक छोटे से गांव में अर्जुन की गुमशुदगी ने खोला एक काला जादू और अलौकिक रहस्यों का भोर, जहां सच और कल्पना के बीच की सीमा धुंधली हो गई।
एक रहस्यमयी बस्ती और अर्जुन की गुमशुदगी
शहर से दूर, एक सुनसान जंगल की गहराई में बसी थी छोटी सी बस्ती — जिसका नाम भी आज तक किसी के जुबान पर खतरे की तरह रहता है। यहाँ की कहानियाँ हवा में कुछ गुप्त फुसफुसाती थीं, मानो कोई अदृश्य साया सदियों से अपनी चाल में व्यस्त हो। इसी बस्ती के एक फर्शी मकान में हुई एक अजीब सी घटना ने पूरे इलाके को दहला कर रख दिया था।
उस मकान में रहता था अर्जुन नाम का एक युवक, जिसकी आँखों में एक अजीब सी बेचैनी थी। महीनों से वह अपने ही दिमाग के अंधेरों में खोया हुआ था। उसकी हरकतें और बातें गांव वालों को डराती, मगर सच तो वह जानता ही नहीं था कि किस साये ने उसके मन को थका दिया था।
अचानक गायब होना और रहस्यमयी घटनाएँ
एक रात, जब पूरे गांव में घने कोहरे की चादर ओढ़ी हुई थी, अर्जुन की अचानक गुमशुदगी ने सबको चौंका दिया। किसी ने आखिरी बार उसे जंगल के उस हिस्से में खड़ा देखा था, जहाँ से कोई लौटकर नहीं आया। यहां तक कि कुछ लोग कहते हैं कि वहां उस दिन एक विचित्र रौशनी ने अंधेरा चीर दिया था — मानो कोई अलौकिक शक्ति ने इसे छुआ हो।
जांच पड़ताल के बाद भी कोई सुराग हाथ नहीं लगा, सिर्फ पुरानी मान्यताएं ही गांव के लोगों को सहारा देती रहीं। कुछ बुजुर्गों ने बताया कि इस इलाके में पिछले कई सालों से एक पंथ का विचरण है, जो काला जादू और तंत्र-मंत्र में विश्वास रखता है। अर्जुन की गुमशुदगी से पहले उसके व्यवहार में अचानक आए बदलाव को भी वे इसी से जोड़ते रहे।
प्राचीन किताब और जादू का प्रभाव
किसी ने कहा कि अर्जुन ने एक प्राचीन किताब खोज ली थी, जिसे पढ़ते ही उसका मन जादू की गुत्थियों में उलझ गया। किताब के पन्नों पर लिखे अल्फ़ाज़ इतने रहस्यमयी थे कि पढ़ते ही उसकी आत्मा में अजीब सिहरन भर गई। इसके बाद से वह बदला-बदला सा लगने लगा था, जैसे उसके भीतर कोई दूसरी मौजूदगी ने जगह बना ली हो।
अस्पष्ट संकेत और जंगल की खोज
जल्द ही मिट्टी के नीचे न केवल एक तेजाब से घुला हुआ क्लासिक डायरी का टुकड़ा मिला, बल्कि उस डायरी में कुछ अस्पष्ट संकेत भी छुपे थे। निशान और चित्र, जो किसी पुराने समानांतिक तंत्र के प्रतीक जैसा दिखता था। यह सब सोचने पर मजबूर करता था कि क्या अर्जुन सच में भटक गया था, या उसे किसी अलौकिक जाल में फंसाया गया?
एक रात गांव के बुजुर्गों ने जंगल की ओर चलने का निर्णय लिया, उम्मीद थी कि किसी तरह सच्चाई सामने आएगी। लेकिन जब वे उस जगह पहुंचे, तो केवल सन्नाटा और हवा में तैरते अजीब से फुसफुसाहट के अलावा कुछ नहीं था। तभी एक अंधेरा साया तेजी से उनके सामने से गुजरा और जंगल के गहरे अंधेरे में विलीन हो गया।
रहस्यमयी साया और अनसुलझे सवाल
अंगड़ाई लेती फिजा में एक अस्पष्ट डर समाया था। गांव वालों के दिमाग में सवाल उठता रहा: क्या यह साया अर्जुन की आत्मा थी जो लौट कर आ गई? या फिर वह रहस्यमय ताकत जो कभी किसी को अकेला नहीं छोड़ती? कोई जवाब नहीं, केवल भ्रम और डर की गूंज।
यह कहानी यहां खत्म नहीं होती। दरवाज़ा धीरे-धीरे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा। क्या अर्जुन सच में जंगल की भूलभुलैया में खो गया, या वह किसी उस जादुई सहारे का हिस्सा बन गया जो हमें दृश्यमान से परे ले जाता है?
निष्कर्ष
इसी सवाल के साथ रह जाती है बस्ती की हवा, जैसे कोई पुराना राज़ जो कभी उजागर नहीं होगा। जिन्दगी और मौत, यकीन और शक के बीच की इस मौत की दहलीज पर हम सब कहीं न कहीं खड़े हैं।
क्या अर्जुन कभी लौटेगा? या वह जो गया, अब लौटने वाला नहीं? ये सवाल अनसुलझे रहेंगे, और शायद तभी इन कहानियों की असली ताकत है — हमें उस अंधेरे की ओर खींचना, जहाँ उजाला भी डर से कांपता है।
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