धुंधली सुबह की किरचें जब उस पुराने गांव की मिट्टी को चूम रही थीं, तब भी हवाओं में एक अनदेखा खौफ सरक रहा था। गांव की एक पुरानी हवेली, जो बरसों से वीरान पड़ी थी, आज भी अपनी दीवारों में उन अनकहे कहानियों की गूंज रखती है, जिनके साए अभी तक गाँववालों की नींद उड़ा देते हैं। यह कहानी है अभय की, जो गांव लौट कर कभी नहीं आया।
अभय, एक होनहार युवक, शहर में पढ़ाई कर रहा था। कई साल बाद जब वह अपने जन्मस्थान वापस लौटा, तो उसके चेहरे पर कुछ अजीब सी बेचैनी झलक रही थी। गांव के बुजुर्ग कहते थे कि अभय के गांव लौटने के बाद अजीब घटनाएं होने लगीं – रात के सन्नाटों में खिड़की से सुनाई देती किसी मनुष्य के सिहरन भरे रूदन की आवाज, फुलझड़ी की तरह जलती हुई लाल रोशनी, और हवेली के पीछे एक पुरानी जेबरा पहाड़ी पर चमकती छायाएँ।
अभय के लौटने के साथ ही गांव में वह काला जादू की बातें जोर पकड़ने लगीं। गांव के सबसे पुराने मंदिर के पुजारी ने काले के चिह्न देखकर यह कहा कि किसी ने ‘अंधकारर्मा’ नामक प्राचीन और भयानक जादू का सहारा लिया है। अभय ने खुद भी गांव के एक वीरान कुएं की ओर घूरते हुए कई बार कहा था, “कुछ यहां छुपा है, जिसे कोई खोलना नहीं चाहता।”
संदिग्ध घटनाएं बढ़ती गईं। बच्चों के खेल के दौरान अचानक चीखें सुनाई दें, अंधेरे में खड़ी आकृतियां जो दिखने में मानवीय पर छवि से परे हों। अभय के मित्र बताते हैं कि वह कई बार हवेली की तहखानों में छिपे पुराने पंथ ग्रंथों की पांडुलिपियां पढ़ा करता था, जिनमे काला जादू और प्रेतात्माओं के संपर्क की बातें थीं।
अभय की अंतिम रात: उसकी चुप्पी गांव में सुलगती हुई रहस्यमय आग जैसी थी। उसकी मिट्टी की खुशबू जैसे किसी पुराने राज को छिपाये हो। हवेली के झरखों से आती हुई चीखें, अचानक टूटने वाली खिड़कियां, और अभय का अंतिम संदेश जिसने हर किसी के होश उड़ा दिये – “मुझे मेरी आत्मा यहाँ से बुला रही है। मैं वापस नहीं आ पाऊंगा।”
उसने कभी लौट कर नहीं आया। गांव में चर्चाएं होने लगीं कि अभय किसी दुष्ट आत्मा के जाल में फंस गया। कुछ ने कहा कि उसने काला जादू की गहराई में इतनी डुबकी लगाई कि उसकी आत्मा हवेली में धंसी रह गई। तो कुछ ने माना कि यह सब मनोवैज्ञानिक तनाव का नतीजा है, लेकिन गांव के उन वीरान रास्तों और पहाड़ी के पेड़ों की छाया कुछ और ही सच बताती है।
आज, हवेली के गुमसुम द्वारों के पीछे वे चिरकालीन सवाल छुपे हैं –
- क्या वास्तव में अभय को कोई अलौकिक साया अपने हत्थे चढ़ा गया?
- क्या वह काला जादू का शिकार बना?
- या फिर उस रात उसने जो कुछ देखा, उसे समझना हम मानवों के बाग़ीरे में नहीं था?
दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा।
सारांश
यह कहानी एक युवा अभय की है जो अपने गांव लौटता है लेकिन रहस्यमयी परिस्थितियों में कहीं खो जाता है। गांव के पुराने काले जादू और हवेली के खौफनाक माहौल के बीच, उसकी गुमशुदगी एक गहरे और अलौकिक राज से जुड़ी हुई प्रतीत होती है। गांव में फैली अनहोनी घटनाओं और प्रेतात्माओं की कहानियों के बीच अभय का अंतिम संदेश उसकी आत्मा की आवाज़ प्रतीत होता है, जो रहस्यमयी ढंग से उसे वापस बुलाती है लेकिन वह कभी लौटा नहीं।
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