
खूनी हवेली की गूंज एक रहस्यमय कहानी है जो एक पुराने गाँव की हवेली में छुपे अंधकारमय राज़ से जुड़ी है। यह कहानी एक युवक की गुमशुदगी और काले जादू की प्राचीन किताब के इर्द-गिर्द घूमती है, जो हवेली के तहखाने में मिली थी।
कहानी का प्रारंभ
गाँव की हवेली डूबती धूप के साथ स्याह साए फैलाने लगी थी। यह हवेली सदियों पुरानी अनकही कहानियों को अपने भीतर समेटे हुए थी। 2023 में, हवेली के पुराने पत्थरों के बीच ठंड का झोंका महसूस किया गया, और गाँववालों ने हवेली से अजीब आवाज़ें सुनने का दावा किया।
आरव की गुमशुदगी
गाँव का युवक आरव अचानक गायब हो गया, जिससे हवेली संदिग्ध स्थल बन गई। पुलिस ने तहखाने में एक प्राचीन किताब पाई जो क्लिक्स-क्लाक्स जैसी आवाज़ें निकालती थी और काले जादू से जुड़ी प्रतीत होती थी।
प्राचीन पंथ और किताब का रहस्य
- किताब को सैकड़ों साल पहले दफन पंथ के सदस्यों द्वारा हवेली में लाया गया था।
- किताब के पन्ने हड्डी जैसी वस्तु से खरोंच कर बने चिह्नों से भरे थे।
- ऐसा कहा जाता था कि ये चिह्न पाठक के मस्तिष्क के द्वार खोलते और उसके भीतर छिपे अंधेरे को जगाते थे।
हवेली में अजीब घटनाएं
- आरव की तलाश के दौरान हवेली के दरवाज़े स्वतः चरमरा उठे।
- स्थानीय लोगों ने संदिग्ध आहटें और चमकती आंखों वाले साये देखे।
- जादुई मंत्र और काले कागज की परतें हवेली के आस-पास मिलीं, जो किसी जादूगर की उपस्थिति को दर्शाती थीं।
पुलिस जांच एवं रहस्यमय संदेश
पुलिस को कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिला, परंतु आरव की माँ ने एक सुसाइड नोट जैसा संदेश देखा जिसका कथन था, “मुझे उस किताब ने भीतर से निगल लिया है।” यह बताता है कि किताब में छुपा जादू अलौकिक तंत्र की भयावहता रखता था।
अद्भुत रहस्य और अनसुलझे सवाल
जैसे-जैसे जांच गहरी हुई, यह स्पष्ट हुआ कि यह केवल गायब होने या हत्या का मामला नहीं है, बल्कि प्राचीन पंथ के मंत्रों का पुनरुद्धार था। हवेली के अंदर मौजूद वह रहस्यमय साया, जो लौट कर नहीं आया, आज भी अनेक सवाल छोड़ गया है।
क्या असल में उस किताब के पन्नों पर काला जादू था, या केवल छुपा हुआ सच जिसे उजागर नहीं किया जा सकता? हवेली के दरवाज़े चरमरा उठे और सन्नाटा फिर से गूंज उठा।
सारांश
यह कहानी हमें एक प्राचीन हवेली के अंदर छिपे एक भयानक रहस्य से रूबरू कराती है जहाँ काले जादू और प्राचीन पंथ के तत्व मौजूद हैं। एक युवक की गुमशुदगी ने इस रहस्यमय घटनाक्रम को जन्म दिया, जो आज भी अनसुलझा पड़ा है। हवेली की गूंज अब भी उस भयावह साये की याद दिलाती है जो लौट कर कभी नहीं आया।