
धुंध से घिरी उस सुबह, जब सूरज की पहली किरण भी हल्की-सी झिझक रही थी, गांव की गलियों में एक अजीब सी बेचैनी छाई हुई थी। गांव के लोग कुछ ऐसा महसूस कर रहे थे जो उन्होंने पहले कभी महसूस नहीं किया था—एक अनहोनी का साया उनके सिर पर मंडरा रहा था। उस दिन सुबह गांव के बुजुर्ग ने कहा, “यहाँ कुछ चुप्पी है, जैसे कोई छुपा हुआ सच हमें निगलने को तैयार है।”
गांव का नाम था सियालपुर। यह एक पुराना, सांस्कृतिक गाँव था, जहाँ अंधविश्वास और प्राचीन मान्यताएँ आज भी गहरे पैठी हुई थीं। मगर अब हवा के साथ चल रही उस खामोशी ने सबको आतंक से घेर दिया था। किसी की नजरें अंधेरे में खोजती थीं और किसी का दिल ऐसे रहस्यों को नापसंद करते हुए भी उनके पीछे भागता था।
सब कुछ शुरू हुआ उस दिन जब मनोज नाम का युवक अचानक गायब हो गया। उसने गांव से कभी दूर जाना नहीं चाहा था, परन्तु एक रात वह अचानक से अपनी झोपड़ी से निकलकर अंधेरे में खो गया। अगली सुबह वह कहीं नहीं मिला। उसके परिवार के सदस्यों ने उसकी तलाश शुरू की, लेकिन गांव के किनारों पर रहस्यमय निशान और आधे जली हुई कागज़ की परतें ही मिलीं।
शुरुआत में लोग सोचने लगे कि यह एक साधारण गायब होना है, पर समय के साथ गुत्थी और भी उलझती गयी। गांव के एक बूढ़े पुजारी ने विवादित बात कही, “यह काला जादू है। कोई छुपे हुए पंथ ने उसे पकड़ लिया है।” उसके शब्दों ने गांव के माहौल को और भारी कर दिया। धीरे-धीरे, गांव में काले जादू की चर्चाएँ फैलने लगी। कहीं पर कहा जाने लगा कि मनोज के न रहने पर उसकी आत्मा भी गांव में भटक रही है।
घटना के तीसरे दिन, गांव वालों ने जंगल के पास एक पुरानी हवेली की ओर जाने वाले रास्ते पर कुछ अजीब निशान देखे जो किसी गुप्त पंथ की पहचान कराते थे। हवेली जहाँ सालों से सुनसान और बंजर पड़ी थी, अचानक कुछ अजीब ऊर्जा से भर उठी थी। लोगों ने बताया कि हवेली की खिड़कियाँ रात में खुद-ब-खुद खोलती और बंद होती थीं, और अजीब से आवाज़ें सुनाई देती थीं।
खबरें फैलते ही, एक पत्रकार भी घटनास्थल पर पहुंचा। उसने हवेली के अंदर की तस्वीरें लीं, पर वापस आते समय उसकी भी कहानी अधूरी रह गई। कहा गया कि वह उस हवेली के भीतर कुछ ऐसा देख गया जो उसकी हिम्मत तोड़ गया।
कई गवाहों ने एक रहस्यमय छाया के बारे में बताया, जो रात में हवेली के बाहर मंडराती थी। वह छाया कभी मनोज की जैसी दिखती थी, तो कभी बदले स्वरूप में।
जैसे-जैसे गांव के अंधेरों में यह कहानी गहराती रही, मनोज की आखिरी झलक और उसके शरीर के अवशेष कभी नहीं मिले। सवाल ये हैं कि –
- उसने असल में क्या देखा था?
- वह अंधेरे में क्यों खो गया?
- क्या वास्तव में काला जादू था?
- या फिर यह किसी गुप्त और प्राचीन रहस्य की भेंट थी, जो आज तक छुपा हुआ था?
घटना की ठोस सच्चाई तो जैसे धुंध में गुम हो चुकी है। हर रात, जब सियालपुर के आसमान पर चाँद की मृदुलता फीकी पड़ने लगती है, गांव के लोग उस हवेली की ओर निहारते हैं – जहाँ अब भी किसी साये की क़हर की गूंज सुनाई देती है।
दरवाज़ा धीमे-धीमे चरमराया… और सन्नाटा गूंज उठा। क्या वह वापस लौटेगा? क्या उस रहस्य का पर्दाफाश कभी होगा?
अवैध पंथ, भटकती आत्माएँ, और पुरानी हवेली के खोए हुए राज़—सियालपुर का यह किस्सा एक रहस्य बना हुआ है, जो हर किसी के रूह को झकझोर देता है।
सारांश
सियालपुर गांव में मनोज नाम के युवक के रहस्यमय गायब होने से शुरुआत हुई एक रहस्यमय घटना, जिसमें काला जादू और प्राचीन पंथ के भयानक सच सामने आए। पुरानी हवेली, रहस्यमय निशान, और अजीब आवाज़ों के बीच गांव में भय और आशंका फैल गई। घटनाओं के बीच मनोज का कोई सुराग न मिलना और हवेली के आसपास छाया का दिखना इस कहानी को और गहरा रहस्य बनाता है। यह कथा गांव की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में छुपे अनदेखे और अंधकारमय रहस्यों को उजागर करती है।